amendment in indian constitution ,26 जनवरी , 1950 को भारतीय संविधान लागू होने के समय से लेकर अब तक काफी संशोधन पारित किए जा चुके हैं तथा कुछ संशोधन विधेयक संसद के समक्ष विचाराधीन हैं ।
भारतीय संविधान में अब तक किए गए संविधान संशोधन इस प्रकार हैं
amendment in indian constitution अनुच्छेद 368
भारतीय संविधान के भाग XX के अनुच्छेद 368 में संवैधानिक संशोधन की बात की गई हैं। संवैधानिक संशोधन की प्रकिया केवल संसद के किसी भी सदन मे एक विधेयक के रूप मे प्रस्तुत किया जाता हैं ससद के दोनो सदनो की स्वीकृत मिलने के बाद यह प्रेसिडेंट को हस्तारित कर दिया जाता है। प्रेसिडेंट के हस्ताक्षर करने के बाद यह एक्ट या अधिनियम बन जाता हैं।
1. पहला संशोधन , 1951 ( The First Amendment , 1951 )
इस संशोधन ने अनुच्छेद 15 , 19 , 31 , 85 , 87 , 174 , 176 , 341 , 342 , 372 और 376 में बदलाव किया और अनुच्छेद 15 स , 31 अ , 31 ब एवम् नौवीं अनुसूची ( Ninth Schedule ) संविधान में जोड़ी। शंकरी प्रसाद बनाम भारत सरकार मुकद्दमे में इसकी वैधता को चुनौती दी गई लेकिन न्यायपालिका ने इसे वैध ठहराया ।
2.दूसरा संशोधन 1952 (The Second Amendment)
इस संशोधन के द्वारा अनुच्छेद 91(b)और 170(2) में बदलाव करके lok sabha और राज्य के प्रतिनिधित्व को एक सम्मान करने का प्रयास किया गया था.यह संशोधन 1 may 1953 कोलागू किया गया था .
3. तीसरा संशोधन , 1955 ( The Third Amendment , 1955 )
इस संशोधन द्वारा समवर्ती सूची के 33 वें विषय में चार आवश्यक वस्तुएँ – खाद्य पदार्थ , पशुओं का चारा , कच्चा सूत और कच्ची पटसन शामिल कर लिया गया यह संशोधन 22 feb 1955 को लागू किया गया था.
4. चौथा संशोधन , 1955 ( The Fourth Amendment , 1955 )
इस संशोधन द्वारा संविधान के अनुच्छेद 31 एवं 31 ( A ) में संशोधन . क्योंकि SC के कुछ निर्णयों के कारण सामाजिक न्याय तथा सम्पत्ति के उचित वितरण सम्बन्धी बनाई गई योजना को लागू करना कठिन हो गया था । यह संशोधन 27 अप्रैल , 1955 को लागू हुआ ।
5. पाँचवाँ संशोधन , 1955 ( The Fifth Amendment , 1955 )
इसमे राज्य के नाम, सीमा या क्षेत्र को कम या ज्यादा करने वाला विधेयक,जो की president की अनुमति के बाद की संसद में पेश किया जाता है.president के अनुमति से पहले इसे राज्य विधान मंडल के पास एक समय सीमा के साथ भेजा जाता है.
6 छठा संशोधन , 1956 ( The Sixth Amendment , 1956 )
इस संशोधन द्वारा संघीय – सूची में अनुच्छेद 92 ( A ) सम्मिलित करके अन्तप्रन्तिीय क्रय और विक्रय कर लगाने की शक्ति केन्द्रीय संसद को प्रदान की गई है परन्तु इसमें समाचार पत्र सम्मिलित नहीं हैं.
7. सातवाँ संशोधन , 1956 ( The Seventh Amendment , 1956 )
- इस संशोधन का उद्देश्य राज्यों के पुनर्गठन की योजना को लागू करना था । लोक सभा में राज्यों और संघीय क्षेत्र से निर्वाचित होने वाले सदस्यों की अधिक – से – अधिक संख्या क्रमशः 500 और 50 निश्चित की गई । (आर्टिकल 81 और 82)
- 2 या 2 से अधिक राज्यों के लिए एक ही व्यक्ति को गवर्नर बनाए जाने की व्यवस्था भी की गई.(article 153)
- सविधान में नया अनुच्छेद 258 ( A ) जोड़ा गया और गवर्नर को यह अधिकार दिया गया कि वह राष्ट्रपति की पूर्व आज्ञा से केन्द्रीय सरकार या उसके अधिकारियों को राज्य के कार्य सौंप सकता है
8. आठवाँ संशोधन , 1960 ( The Eighth Amendment , 1960 )
लोकसभा तथा राज्य विधान सभाओं में SC/ST व aglo Indian के आरक्षण को 10 वर्षों के लिए बढा दिया गया.
9. नौवा संशोधन,1960 (The Ninth Amendment,1960)
इस संशोधन के द्वारा प्रथम अनुसूची में बदलाव करके भारत और पाकिस्तान बीच 1958 की संधि के तहत बीरूवाड़ी खुलना पाकिस्तान को दे दिया गया.
10. दसवाँ संशोधन , 1961 ( The Tenth Amendment , 1961 )
इस संशोधन द्वारा दादरा और नगर हवेली को भारत में शामिल करके 11 अगस्त , 1961 से संघीय क्षेत्र का दर्जा दिया गया ।
11. ग्यारहवाँ संशोधन , 1961 ( The Eleventh Amendment , 1961 )
इस संशोधन द्वारा निवार्चन मंडल मैं पद खाली होने के वजह से राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति के निर्वाचन को चुनौती नहीं दी जा सकती है
12. बारहवाँ संशोधन , 1961 ( The Twelfth Amendment , 1961 )
इस संशोधन द्वारा गोवा , दमन तथा दीव को संघीय क्षेत्र घोषित करके वहां राष्ट्रपति को शांति और अच्छे प्रशासन के लिए नियम बनाने की शक्ति दी गई.
13. तेरहवाँ संशोधन 1962 , ( The Thirteenth Amendment , 1962 )
इस संशोधन के अन्तर्गत नागालैण्ड के ना लोगों के धर्म सामाजिक प्रथाओं के विरुद्ध अगर संसद कोई कानून लागू करने पहले वहाँ की विधानसभा की स्वीकृति लेनी होगी.
14 चौदहवाँ संशोधन , 1962 ( The Fourteenth Amendment , 1962 )
( क ) इस संशोधन द्वारा पाण्डिचेरी , कारीकल , माहे और यानम के इलाकों को पाण्डेिचरी के नाम से भारत में संघीय क्षेत्र के रूप में शामिल किया गया .
( ख ) लोक सभा में संघीय क्षेत्रों के सदस्यों की संख्या को 20 से बढ़ाकर 25 कर दिया गया ।
15 पंद्रहवाँ संशोधन , 1963 ( The Fifteenth Amendment , 1963 )
यह संशोधन मुख्य रूप से के न्यायालयों न्यायाधीशों के बाते मैं बताया गया है.
उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के सेवानिवृत्त होने की आयु 60 वर्ष से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी गई ।(आर्टिकल 217)
16. सोलहवाँ संशोधन , 1963 ( The Sixteenth Amendment , 1963 )
इस संशोधन द्वारा राज्य को भाषण देने और विचार प्रकट करने , इकट्ठे होने और समुदाय बनाने के अधिकार पर उचित प्रतिबन्ध लगाने की शक्ति प्रदान की गई है । शपथ ग्रहण के अंतर्गत भारत की प्रभुता और अखंडता को बनाए रखूंगा शब्द को जोड़ा गया.
17. सत्रहवाँ संशोधन , 1964 ( The Seventeenth Amendment , 1964 )
इस संशोधन द्वारा संपत्ति के अधिकार में और संशोधन किया गया और सविधान की 9वी अनुसूची में परिवर्तन करके उसमें भूमि सुधार संबंधी 44 और कानून एड किया गया.
18. अठारहवाँ संशोधन , 1966 ( The Eighteenth Amendment )
इस संशोधन द्वारा राज्य में सघींय क्षेत्र शामिल कर दिए गए हैं संसद को किसी राज्य या संघीय क्षेत्रों के इलाके मिलाकर नए संघीय क्षेत्र या घटाने की शक्ति प्रदान की गई है।
19 उन्नीसवाँ संशोधन , 1966 ( The Nineteenth Amendment , 1966 )
इस संशोधन का उद्देश्य संविधान के अनुच्छेद 3 में संशोधन करना था. ताकि सरकार को भाषा के आधार पर पंजाब का विभाजन करने में कोई कानूनी रुकवट न हो।
20. बीसवाँ संशोधन , 1966 ( The Twentieth Amendment , 1966 )
इस संशोधन के द्वारा सविधान मै नया अनुच्छेद 233 ( A ) को जोड़ दिया है ।ताकि कुछ जिला न्यायधीशो की नियुक्ति को वेधत्ता प्रधान की जा सके ।
21. इक्कीसवाँ संशोधन , 1966 ( The Twenty – first Amendment , 1966 )
इस संशोधन के द्वारा संविधान की 8वी अनुसूची में परिवर्तन करके सिन्धी भाषा को भी राष्ट्रीय भाषा मान लिया गया है ।
22. बाइसवाँ संशोधन , 1996 ( The Twenty – second Amendment , 1966 )
इस संशोधन द्वारा संसद को कानून द्वारा असम राज्य में पर्वतीय क्षेत्रों को मिलाकर मेघालय राज्य की स्थापना करने का अधिकार मिला ।
23. तेइसवाँ संशोधन , 1969 ( The Twenty – third Amendment , 1969 )
इस संशोधन द्वारा अनुसूचित जाति एवम् कबीलों के लिए विशेष सुविधाओं की व्यवस्था को 26 जनवरी , 1980 तक के लिए बढ़ा दिया गया ।
24. चौबीसवाँ संशोधन , 1971 ( The Twenty – fourth Amendment , 1971 )
यह संशोधन बिल अगस्त 1971 में संसद द्वारा पास किया गया और दस प्रान्तों की मन्जूरी प्राप्त करने के बाद इस पर 5 नवम्बर , 1971 को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर हुए। इसके अनुसार
( i ) संविधान की व्यवस्था के बावजूद संसद अपनी संवैधानिक शक्ति का प्रयोग करके संविधान के किसी भी भाग को संशोधित करने के लिए बढ़ा सकती है अथवा उसे परिवर्तित कर सकती है .
( ii ) संसद के दोनों सदनों द्वारा पास किया गए संवैधानिक संशोधन बिल को राष्ट्रपति के लिए अनुमति देना आवश्यक है ।
( iii ) इसी संशोधन द्वारा यह निश्चित किया गया है कि संसद मौलिक अधिकारों से सम्बन्धित .
28.अठाइसवा संशोधन , 1972 ( The Twenty – eighth Amendment , 1972 )
इस संशोधन द्वारा भारतीय असैनिक सेवाओं ( I.C.S. ) के अधिकारियों को विदेश यात्रा तथा मुद्रा आदि से सम्बन्धित दिए गए 25 वर्ष पुराने विशेषाधिकार समाप्त करने की व्यवस्था की गई.
29. उनतीसवाँ संशोधन , 1972 ( The Twenty – ninth Amendment , 1972 )
सन् 1972 में पारित इस संशोधन कानून ने केरल राज्य द्वारा पास किए गए भूमिसुधार कानूनों को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करके उन्हें न्यायपालिका के क्षेत्र कानूनों की वैधता को चुनौती दी । केशवानन्द भारती बनाम केरल सरकार मुकद्दमे ने सर्वोच्च न्यायालय के सामने संविधान के 24 वें , 25 वें और 29 वें संशोधन कानूनों की वैधता को चुनौती दी।
30. तीसवाँ संशोधन , 1972 ( The Thirtieth Amendment , 1972 )
इस संशोधन द्वारा यह व्यवस्था की गई कि उच्चतम न्यायालय प्रत्येक उस दीवानी मुकद्दमे की अपील सुन सकता है , जिसमें कानून की व्याख्या का प्रश्न निहित हो और जिसे उच्च न्यायालय , उच्चतम न्यायालय में अपील करने के योग्य समझे । इससे पूर्व उच्च न्यायालय के फैसले के विरुद्ध केवल ऐसे दीवानी या इतने ही मूल्य की सम्पत्ति का होता था । मुकद्दमे की अपील सर्वोच्च न्यायालय में की जा सकती थी , जिसका सम्बन्ध कम – से – कम 20,000 रुपए या इससे अधिक की राशि संशोधन कानून आयोग की सिफारिश के आधार पर किया गया ।
31. इकत्तीसवाँ संशोधन , 1972 ( Thirty – first Amendment , 1972 )
इस संशोधन में लोक सभा में राज्यों के प्रतिनिधियों की संख्या 500 से बढ़ाकर 525 तथा संघीय क्षेत्रों के प्रतिनिधियों की संख्या 25 से घटाकर 20 कर दी गई । इस प्रकार लोक सभा के सदस्यों की संख्या 525 से बढ़कर 545 हो गई । इसके अतिरिक्त , इस संशोधन द्वारा अनुच्छेद 330 में यह परिवर्तन किया गया कि असम के कबायली इलाकों और नागालैण्ड के अनुसूचित कबीलों के साथ – साथ मेघालय , अरुणाचल प्रदेश तथा मिजोरम के स्थान सुरक्षित रखने की व्यवस्था बनी रहेगी । अनुसूचित कबीलों के लिए भी लोक सभा में स्थान सुरक्षित नहीं रखे जाएंगे । इनके अतिरिक्त , अन्य अनुसूचित कबीलों के लिए इसी प्रकार अनुच्छेद 332 में संशोधन करके यह व्यवस्था कर दी गई कि असम के कबायली इलाकों तथा नागालैण्ड के अनुसूचित कबीलों की भाँति मेघालय के अनुसूचित कबीलों के लिए भी राज्य विधानसभाओं में स्थान नहीं रखे जाएंगे ।
32. बत्तीसवाँ संशोधन , 1973 ( The Thirty – second Amendment , 1973 )
इस संशोधन के द्वारा आन्ध्र प्रदेश के सन्तुलित विकास के लिए केन्द्रीय सरकार की योजना लागू की गई तथा इस उद्देश्य के लिए दो नए अनुच्छेद 371D और 371 संविधान में सम्मिलित किए गए । इन अनुच्छेदों का उद्देश्य आन्ध्र प्रदेश के विभिन्न भागों में रहने वाले लोगों को विशेष सुविधाएँ देना है । इस संशोधन के अन्तर्गत राष्ट्रपति आन्ध्र प्रदेश के स्थानीय लोगों के लिए सरकारी नौकरियाँ और शिक्षा संस्थाओं में शिक्षा प्राप्त करने के लिए विशेष सुविधाएँ प्रदान कर सकता है । इसी प्रकार वह आन्ध्र प्रदेश में प्रशासकीय ट्रिब्यूनल ( Administration Tribunal ) स्थापित कर सकता है । संसद आन्ध्र प्रदेश के लिए कानून द्वारा एक विश्वविद्यालय स्थापित कर सकती है । इस संशोधन द्वारा मुल्की नियम को समाप्त किया गया । इस प्रकार इस संशोधन द्वारा अलग ( तेलंगाना ) राज्य की स्थापना के लिए चलाए गए आन्दोलन को समाप्त कर दिया गया ।
33. तैंतीसवाँ संशोधन , 1974 ( The Thirty – third Amendment , 1974 )
इस संशोधन द्वारा केन्द्र तथा प्रान्तीय विधानसभाओं के सदस्यों द्वारा त्यागपत्र देने के विषय में कुछ नियम बनाए गए हैं । इसके अनुसार सदस्यों के त्यागपत्र को लोक सभा अध्यक्ष ( Speaker ) अस्वीकार कर सकता है , यदि उसे यह विश्वास हो जाए कि यह त्यागपत्र सदस्य ने अपनी इच्छा से नहीं दिया है , बल्कि किसी दबाव के अधीन दिया है । यह संशोधन 22 मई , 1974 को राष्ट्रपति के हस्ताक्षरों द्वारा स्वीकृत हुआ ।
34. चौंतीसवाँ संशोधन , 1974 ( The Thirty – fourth Amendment , 1974 )
इसके द्वारा राज्यों के भूमि नियन्त्रण कानूनों को मुकद्दमेबाजी से बचाने के लिए उसे संविधान के कानून , नौंवी सूची में ( IXth Schedule ) रखा गया है । लगभग 20 राज्यों के कानून इस संशोधन के अन्तर्गत आते हैं । इन कानूनों पर न्यायिक पुनर्वलोकन नहीं हो सकता ।
35. पैंतीसवाँ संशोधन , 1974 ( The Thirty – fifth Amendment , 1974 )
इस संशोधन द्वारा सिक्किम को भारत के संघीय राज्य का स्थान दिया गया । अतः अब सिक्किम भारत का संरक्षित राज्य ( Protectorate ) नहीं रहा । केन्द्रीय संसद के दोनों सदनों में सिक्किम की जनता द्वारा प्रत्यक्ष ढंग से चुना हुआ एक – एक सदस्य होगा , परन्तु सिक्किम का स्थान एक अलग राज्य के समान होगा ।
36. छत्तीसवाँ संशोधन , 1975 ( The Thirty – sixth Amendment , 1975 )
यह संशोधन सिक्किम सभा के प्रस्ताव पर , जिसे सिक्किम में करवाए गए जनमत – संसद द्वारा स्वीकृति दी गई , पास किया गया । यह संशोधन 26 अप्रैल , 1975 को संसद के दोनों सदनों द्वारा पास होने की तिथि से लागू हो गया ।