संविधान के अनुच्छेद 54 तथा 55 के अंतर्गत राष्ट्रपति को चुनने के लिए एक विशेष चुनाव प्रणाली अपनाई गई है राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है निर्वाचक मंडल में संसद के दोनों सदनों (लोकसभा तथा राज्यसभा) के निर्वाचक सदस्य तथा राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं.
संसद और राज्य विधानसभाओं के मनोनीत सदस्य को राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेने का अधिकार प्राप्त नहीं है इसका मुख्य कारण यह है .कि वे जनता का प्रतिनिधित्व नहीं करते इसके अतिरिक्त केंद्र प्रशासित या संघीय राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली एवं पांडिचेरी विधानसभा को भी संसद द्वारा मई 1992 में 70वे संवैधानिक संशोधन द्वारा राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल में सम्मिलित किया गया।
चुनाव अकल संक्रमणीय प्रणाली द्वारा अनुपातिक प्रतिनिधित्व की प्रणाली (Proportional Representation Single Transferable Vote System )के आधार पर होता है ।भारतीय संविधान के अनुच्छेद 71(3 )के अनुसार संसद को राष्ट्रपति के चुनाव संबंधी नियम बनाने का अधिकार दिया गया है जिसके अनुसार 1952 में संसद द्वारा राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति का निर्वाचन संबंधी अधिनियम पारित किया गया।
राष्ट्रपति चुनाव में कुल कितने वोटर वोट डालते हैं
राष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा के 543 सदस्य राज्यसभा के 233 सदस्य और राज्य विधानसभा के 4126 विधायक राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट डालेंगे ।विधानसभा व सांसदों के सदस्यों के मतों का मूल्य अलग-अलग होता है। उदाहरण के लिए एक राज्य की विधानसभा के एक सदस्य के मत का मूल्य हम ज्ञात करने वाले हैं।
उदाहरण के लिए हरियाणा की जनसंख्या 10036808 (1971 के अनुसार ) तथा विधान सभा के सदस्यों की संख्या 90 है।
फार्मूला या विधि
एक राज्य की विधानसभा के एक सदस्य के मत का मूल्य =राज्य की जनसंख्या /विधानसभा के निवासी सदस्यों की संख्या %1000
10036808/90%1000=112
विधानसभा के एक सदस्य के मत का मूल्य बराबर
संसद के प्रत्येक सदस्य के मतों की संख्या या मूल्य = सभी राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित मतों की कुल संख्या मूल्य /संसद के दोनों सदनों( लोकसभा और राज्यसभा) के निर्वाचित सदस्यों की संख्या
उदाहरण के अनुसार यदि यह मान लिया जाए कि सभी विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों के मतों की कुल संख्या 74940 है तथा संसद के निर्वाचित सदस्यों की संख्या 750 है तो संसद के प्रत्येक सदस्यों को 74940/750=99*23/25 मत देने का अधिकार हुआ क्योंकि 23/25आधे से अधिक है इसलिए संसद का प्रत्येक सदस्य 100 मत दे सकता है.
किस राज्य के विधायक के वोट की वैल्यू कितनी है?
राज्य | सदस्यों की संख्या | एक सदस्य के वोट की वैल्यू | जनसंख्या (1971) | सभी सदस्यों के वोट की वैल्यू | |
आंध्र प्रदेश | 294 | 148 | 43,502,708 | 148×294=43512 | |
अरुणाचल प्रदेश | 60 | 08 | 476511 | 60×8=480 | |
असम | 126 | 116 | 14,625,152 | 116×126=14,616 | |
बिहार | 243 | 173 | 42,126,236 | 234×173=42,039 | |
छत्तीसगढ़ | 90 | 129 | 11,637,494 | 90×129=11,610 | |
गोवा | 40 | 20 | 795,120 | 40×20=800 | |
गुजरात | 182 | 147 | 26,297,475 | 147×182=26,754 | |
हरियाणा | 90 | 112 | 10036808 | 90×112=10,080 | |
हिमाचल प्रदेश | 68 | 51 | 3,460,434 | 68×51=3,468 | |
झारखंड | 81 | 176 | 14,227,133 | 81×176=14,256 | |
कर्नाटक | 224 | 131 | 29,990,014 | 224×131=26,344 | |
केरल | 140 | 152 | 21,347375 | 140×152=21,280 | |
मध्य प्रदेश | 230 | 131 | 30,016,265 | 230×131=30,130 | |
महाराष्ट्र | 288 | 175 | 50,412,235 | 288×175=50,400 | |
मणिपुर | 60 | 18 | 1,072,753 | 60×18=1,080 | |
मेघालय | 60 | 17 | 1,011,699 | 60×17=1,020 | |
मिजोरम | 40 | 08 | 332,390 | 40×8=320 | |
नगालैंड | 60 | 09 | 516,449 | 60×9=540 | |
ओडिशा | 147 | 149 | 21,944,615 | 147×149=21,903 | |
पंजाब | 117 | 116 | 13,551,060 | 117×116=13,572 | |
राजस्थान | 200 | 129 | 25,765,806 | 200×129=25,800 | |
सिक्किम | 32 | 07 | 209,843 | 32×7=224 | |
तमिलनाडु | 234 | 176 | 41,199,168 | 234×176=41,184 | |
त्रिपुरा | 60 | 26 | 1,556,342 | 60×26=1,560 | |
उत्तराखंड | 70 | 64 | 4,491,239 | 70×64=4,480 | |
उत्तर प्रदेश | 403 | 208 | 83,849,905 | 403×208=83,824 | |
पश्चिम बंगाल | 294 | 151 | 44,312,011 | 294×151=44,394 | |
दिल्ली | 70 | 58 | 4065,698 | 70×58=4060 | |
पुडुचेरी | 30 | 16 | 471,707 | 16×30=480 | |
कुल | 4033 | ———— | 5,43,231 |
25 जुलाई को ही नए राष्ट्रपति के द्वारा शपथ क्यों ले ली जाती है
हर 5 साल के बाद देश को एक नया राष्ट्रपति मिलता है जो 25 जुलाई को ही शपथ ग्रहण करता है इसका प्रमुख कारण यह है कि सन 1977 में राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद का कार्यकाल के दौरान ही निधन हो गया था अली अहमद के निधन के बाद उपराष्ट्रपति बी. डी जती ने कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया और नए राष्ट्रपति की चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद नीलम संजीव रेड्डी 25 जुलाई 1977 को नए राष्ट्रपति के रूप में कार्य करने लगे इसके बाद से ही हर 5 साल पर 25 जुलाई को ही राष्ट्रपति चुने जाते हैं।
राष्ट्रपति का चुनाव का प्रबंध चुनाव आयोग के द्वारा किया जाता है विधानसभा के सदस्य अपनी-अपनी राज्य की राजधानियों में मतदान करते हैं जबकि संसद सदस्य नई दिल्ली में मतदान करते हैं संसद के सदस्य अपने-अपने राज्यों की राजधानी में मतदान कर सकते हैं 1974 के संवैधानिक कानून के संसद के सदस्यों को अपने राज्य के मतदान केंद्र पर वोट डालने के लिए कम से कम 10 दिन पहले चुनाव आयोग की सूचना देनी पड़ती है।
(नोट(Note) किसी राज्य की भंग विधानसभा के सदस्यों को राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेने का अधिकार नहीं होगा)
Short Cut में समझे
मतदान तथा मतगणना की विधि (The System of Polling and Counting of Votes )
विधि (Formula) शुद्ध मतों की कुल संख्या /स्थानों की संख्या+1=1 means 10000/1+1*1=5001 जीत के लिए
उदाहरण के लिए
1 कुल मतों की संख्या 10000 हैं तथा 4 उम्मीदवार हैं A,B,C,D, क्रंमश वोट प्राप्त हुए=A 4000
B। 3800
C1600
1400
जीत के लिए 5001 वोट चाहिए जो किसी भी उम्मीदवार को प्राप्त नहीं हुए इस विधि में सबसे कम मत प्राप्त उम्मीदवार को निर्वाचन क्षेत्र से बाहर कर दिया जाता है और उसके मतों को अन्य उम्मीदवार को बांट दिया जाता है अब बाहर हुए उम्मीदवार के 1400 को बाकी तीन उम्मीदवारों में बांटा जाएगा।
A 4000+300
B 3800+700
C 1600+400
यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है जब तक किसी एक उम्मीदवार को आवश्यक संख्या से अधिक प्राप्त ना हो जाए इसी प्रकार अब सबसे कम मत वाले उम्मीदवार c को बाहर कर दिया जाएगा और इसके मतों को A,B में बांट दिया जाएगा इससे प्राप्त मतों जैसे
A 4300+700
B 3800+1300
B को आवश्यक संख्या से अधिक मत प्राप्त इसलिए B को निर्वाचित घोषित कर दिया जाएगा।
यह प्रक्रिया पहली बार अगस्त 1969 में राष्ट्रपति डॉक्टर जाकिर हुसैन की मृत्यु के बाद राष्ट्रपति के चुनाव के लिए अपनाई गई थी, क्योंकि इससे पहले चारों चुनाव मैं निर्णय पहली पसंद के आधार पर ही होता रहा और निर्वाचित उम्मीदवारों को पहली पसंद में आवश्यक संख्या में मत प्राप्त होते हैं परंतु सन 1969 के चुनाव में पहली पसंद के आधार पर किसी भी उम्मीदवार को आवश्यक मत प्राप्त न होने के कारण दूसरी पसंद के आधार पर निर्णय किया गया जिसके अनुसार राष्ट्रपति श्री वीवी गिरी निर्वाचित हुए।