भारतीय संविधान में संशोधन की प्रक्रिया | Procedure of Amendment of the Indian Constitution.को जानने से पहले हमे यह जानना जरूरी है। की सविधान संसोधन क्या है। भारतीय संविधान का संशोधन भारत के संविधान में परिवर्तन करने की प्रक्रिया है। इस तरह के परिवर्तन भारत की संसद के द्वारा जा सकता है। इन्हें संसद के प्रत्येक सदन मतलब लोकसभा और राजयसभा से पर्याप्त बहुमत के द्वारा अनुमोदन प्राप्त होना चाहिए और विशिष्ट संशोधनों को राज्यों के द्वारा भी अनुमोदित किया जाना चाहिए। इस प्रक्रिया का विवरण संविधान के अनुच्छेद 368, भाग XX में दिया गया है।इस तरह से अभी तक इन नियमों के बावजूद 1950 में संविधान के लागू होने के बाद से इस में 126 संशोधन किये जा चुके हैं।
भारतीय संविधान में संशोधन की प्रक्रिया | Procedure of Amendment of the Indian Constitution)
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 368 में संशोधन की प्रक्रिया को विस्तार से बताया गया है। की किस तरह से भारत की संसद द्वारा सविधान में संशोदन किया जाता है। भारतीय सविधान में संशोधन की प्रक्रिया सबसे पहले वे अनुच्छेद आते है। जिनमें संसद अपने साधारण बहुमत से संशोधन किया जा सकता है.दूसरे स्थान पर अनुच्छेदों में संशोधन करने के लिए संसद को 2/3 बहुमत की आवश्यकता होती है। तीसरे वर्ग के अनुच्छेदों में संशोधन के लिए संसद को दोनों सदनों के दो-तिहाई बहुमत के साथ-साथ आधे राज्यों की स्वीकृति भी आवश्यक होती है।
भारतीय संविधान में 2022 तक कितने संशोधन हो चुके हैं
संविधान में संशोधन के लिए संसद में विशेष बहुमत के अलावा संवैधानिक आयोग या फिर किसी निकाय जैसी किसी बाहरी एजेंसी की जरूरत नहीं पड़ती है। संसद से पारित होने के बाद संशोधन विधेयक राष्ट्रपति को जाता है,जिसके बाद राष्ट्रपति के सिग्नेचर करने के बाद यह एक अधिनियम बन जाता है। भारतीय संविधान में अब तक 126 संशोधन हो चुके हैं । संविधान संशोधन (126 वां) बिल एससी-एसटी आरक्षण को 10 साल बढ़ाने का प्रावधान किया गया है। जो की यह आरक्षण 25 जनवरी, 2020 को समाप्त होने वाला है जिसे दोबारा संसद में संसोधन करने इस अवधि को 25 जनवरी, 2030 तक बढ़ाने का प्रावधान किआ गया है।
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संविधान संशोधन कितने प्रकार से किया जा सकता है
संविधान संशोधन में संशोधन के कुल तीन प्रकार से किया जा सकते है। जिसमे दो अनुच्छेद 368 के अंतर्गत है व एक अनुच्छेद 368 के बाहर रखा गया है।
- संसद के साधारण बहुमत से संशोधन -संविधान के कुछ अनुच्छेद ऐसे हैं जिनमें संसद उसी प्रकार से संशोधन कर सकती है जिस प्रकार उसके द्वारा साधारण कानून पास किए जाते हैं। इस दृष्टि से हमारा संविधान लचीला (Flexible) बना हुआ है.
(i) नए राज्यों का निर्माण तथा उन्हें भारतीय संघ में शामिल करना। (अनुच्छेद 2 )
(ii) वर्तमान राज्यों का पुनर्गठन करना या उनकी सीमाओं तथा नामों में परिवर्तन करना।(अनुच्छेद 3 )
(iii) भारत की नागरिकता सम्बन्धी विषय मतलब की नागरिकता की प्राप्ति व समाप्ति के बारे में (भाग 2 ,अनुच्छेद 5 -11 )
(iv) राज्य की विधानसभा की सिफारिश के आधार पर ही उस राज्य में विधान परिषद् की स्थापना करना अथवा उसे समाप्त करना।।(169 )
(v) राष्ट्रभाषा सम्बन्धी विषय कोई भी विधेयक।
(vi) सर्वोच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार का विस्तार को बढ़ाना तथा sc के न्यायाधीशों की संख्या निश्चित करना।
(vii) संसद सदस्यों के वेतन, भत्ते तथा अन्य सुविधाएँ का निर्धारण करना ।
(viii) अनुसूचित जातियों ( sc ), अनुसूचित जनजातियों ( ST ) तथा पिछड़े हुए कबीलों आदि से सम्बन्धित विषय में।
(ix) संसद तथा राज्य विधानमण्डलों के सदस्यों के लिए योग्यताएँ निर्धारण करना ।
(x) संघीय लोक सेवा आयोग ( UPSC ) को अतिरिक्त कार्य सौंपना के बारे में।
(xi) संसद के दोनों सदनों का कोरम या गणपूर्ति (Quorum) (अनुच्छेद 100) का निश्चित करना।
(xii) संसद की कार्यविधि के नियमों को निश्चित करने सम्बन्धी विषय में।
2.कुछ अनुच्छेद संसद के दोनों सदनों के 2/3 बहुमत से संशोधित किए जा सकते हैं।
संविधान के ज्यादातर अनुच्छेदों में संशोधन इसी प्रकार से किया जा सकता है।जिसमे संशोधन का वर्णन अनुच्छेद 368 में किया गया है।इस ढंग के अनुसार संविधान के अनुच्छेदों में संशोधन संसद के समस्त सदस्यों के बहुमत (50 %) तथा उपस्थित सदस्यों के ⅔ बहुमत से किया जा सकता है।आपको यह भी जानन जरुरी है. कि संविधान के भाग III तथा IV में भी संशोधन इसी प्रकार से किए जाने की बात की गई है.लेकिन1969 में सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय देते हुआ कहा की संसद मौलिक अधिकारों में संशोधन नहीं कर सकती है। लेकिन फिर 24वें संवैधानिक संशोधन को पास करके संसद ने मौलिक अधिकारों को संशोधित करने का अधिकार प्राप्त कर लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने कुछ समय पहले दिए निर्णयों में 24वें संशोधन को वैध माना है, अतः आज भारतीय संसद को संविधान में संशोधन के पूर्ण अधिकार हैं। संसद निदेशक सिद्धान्तों को लागू करने के लिए मौलिक अधिकारों को संशोधित एवं सीमित कर सकती है।
- कुछ अनुच्छेद संसद के दोनों सदनों में ⅔ बहुमत तथा आधे राज्यों की विधानपालिकाओं के समर्थन से भी बदले जा सकते हैं।इस श्रेणी में संविधान के वे अनुच्छेद आते हैं, जिनमें संशोधन करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 368 में अत्यन्त कठोर ढंग का वर्णन किया गया है। अर्थात सविधान में संशोधन के लिए सबसे कठिन प्रक्रिया अपनायी गयी है। इन अनुच्छेदों में संशोधन करने के लिए पहले संसद को दोनों सदनों में अलग-अलग से समस्त सदस्यों के बहुमत तथा उपस्थित सदस्यों के 2/3 बहुमत से प्रस्ताव पास करना होता है.तथा इसके बाद में इसे कम-से-कम आधे राज्यों की विधानसभाओं की स्वीकृति प्राप्त करनी होती है। अर्थात इसमें दो मुख्य बिंदु होते है।
पहला संसद को सबसे पहले दोनों सदनों से विशेष बहुमत से पारित तथा सदन में आये हुए में से 2 /3 बहुमत से संसोधन को पास करवाना होगा उसके बाद उस प्रस्ताव को कम-से-कम आधे राज्यों की विधानसभाओं की स्वीकृति प्राप्त होन चाहिए।
इस प्रकार कुछ ऐसे कार्य है जिसे करते समय हमे दोनों मतलब की संसद का बहुमत व आधे राज्यों का समर्धन मिलना चाहिए जो इस प्रकार है. जैसे
(1) राष्ट्रपति के चुनाव से संबधित (अनुच्छेद 54, 55 ) ।
(2) संघ अथवा राज्यों की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार करने के लिए। (अनुच्छेद 73, 162)।
(3) संघीय न्यायपालिका से सम्बन्धित अनुच्छेद (अनुच्छेद 125 से 147) ।
(4) राज्यों के न्यायालयों से सम्बन्धित अनुच्छेद (अनुच्छेद 214 से 282)।
(5) संसद में राज्यों का प्रतिनिधित्व तय करने के लिए। (चौथी अनुसूची) ।
(6) संघ तथा राज्यों के विधायी सम्बन्ध में (अनुच्छेद 245 से 255 ) ।
(7) संघीय क्षेत्रों के लिए उच्च न्यायालय की स्थापना करने के लिए।
(8) संविधान की सातवीं अनुसूची में वर्णित विषय के बारे में।
(9) संविधान में संशोधन की प्रक्रिया को अपनाने के लिए। (अनुच्छेद 368) ।
भारतीय संविधान में संशोधन की प्रक्रिया | Procedure of Amendment of the Indian Constitution .क्यों अपनाने की जरूरत पड़ी। क्युकी संविधान में इन अनुच्छेदों के संशोधन के लिए ऐसे कठिन ढंग की व्यवस्था इसलिए की गई है, ताकि केन्द्रीय सरकार राज्यों के अधिकारों तथा संविधान के संघात्मक तत्त्वों में आसानी से तथा मनमर्जी से परिवर्तन न कर सके। अतः हम देखते हैं कि भारतीय संविधान अंशतः कठोर तथा अंशतः लचीला संविधान अर्थात भारतीय सविधान न तो अधिक कठोर है और न ही अधिक लचीला है।
निष्कर्ष
भारतीय सविधान बनते समय इसलिए सविधान में संसोधन की प्रक्रिया सायद इसलिए दी गई। ताकि समय के इसमें कुछ बदलाव किया जा सके और इस प्रक्रिया को न तो आसान बनाया और न ही ज्यादा कठोर बनाया गया। क्युकी अगर आसान बना दिया होता तो जब मन करे किसी भी विधेयक को क़ानून बना दिया जाता जिस से सायद किसी को नुकसान भी हो सकता है।
इस लेख में हमने भारतीय संविधान में संशोधन की प्रक्रिया | Procedure of Amendment of the Indian Constitution . के बारे में बताया गया है. अगले लेख में हम आपको ऐसी तरह विस्तार से वित्त विधेयक और धन विधेयक के बारे में विस्तार से बताया जाएगा। आशा करते है हमारे द्वारा दी गए जानकारी आपको पसंद आए होगी। अगर आपको इस लेख से संबधित कोई जानकारी चाहिए या फिर कोई जानकारी आपके पास उपलब्ध है ,जिसे की आप हम से सपर्क करना चाहते हो तो हमे सोशल मीडिया के जरिये या फिर कमेंट बोस से अपनी जानकारी को भेज सकते है।