भारतीय शिक्षा प्रणाली का इतिहास (Indian Education System in Hindi ) –
आज जिस प्रकार की भारत की शिक्षा व्यवस्था (Indian Education System in Hindi ) को देखते है उसके बारे में आपने कभी सोचा है की इसका इतिहास कैसा रहा। भारत में वैदिक सभ्यता में गुरुकल से लेकर भारत में अग्रेजो से शासन करने तक की Indian Education System in Hindi का अध्ययन करने वाले है। अगर आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी से कुछ फायदा होता है तो हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करके अपना फीडबैक दे सकते है।
भारत की शिक्षा व्यवस्था (Indian Education System in Hindi या ब्रिटिशकालीन शिक्षा निति ( British Education Policy )
Indian Education System in Hindi जो जानना है. तो हमे ब्रिटिशकालीन शिक्षा निति कैसी रही इसकी जानकारी होनी बहुत जरूरी है। आज जिस शिक्षा व्यवस्था को देखते है.उसकी शुरुआत
1813 से पूर्व की शिक्षा व्यवस्था
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शुरू शुरू में ब्रिटिश व्यापार करने पर ही ज्यादा अध्यन्न करती थी लेकिन धीरे धीरे उनका रुक भारतीयों को एजुकेशन देने की बात कही जाने लगी। भारत में चार्ल्स ग्रांट को ही भारत में आधुनिक शिक्षा व्यवस्था का जनक माना जाता है। क्यकि इन्होने ही सबसे पहले विद्यालयों की स्थापना का विचार दिया था।
- वारेन हेस्टिंग्स के द्वारा 1781 में कलकत्ता के अन्दर एक मदरसा की स्थापना की जाती है।जिनमे चीफ के रूप में मुल्ला मुजदुद्दीि को नियुक्त किया जाता है।
- विलियम जोन्स ने 1784 में एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल की स्थापना की जाती है।
- जोनाथन डंकन के द्वारा 1791 में बनारस संस्कृत कॉलेज की स्थापना की जाती है। हिन्दुओ के धर्म साहित्य व कानून का अध्यन्न करना की शिक्षा दी जाती थी।
लार्ड वैलेजली के द्वारा 1800 में कलकत्ता के अंदर असैनिक अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए में विलियम फोर्ट कॉलेज की स्थापना की जाती है।
- राजा राममोहन राय ने ही डेविड हेयर व अलेक्जेंडर डफ के सहयोग से 1817 के अंदर ही कलकत्ता में हिन्दू कॉलेज की स्थापना की जाती है। इस कॉलेज के अंदर western science and humanities (पाश्चत्य विज्ञान और मानविकी ) जिसको इंग्लिश में पढाया जाता था। लेकिन वित्तीय सहायता न मिलने के कारण यह उस समय बंद हो गया था। लेकिन आज ऐसे प्रेसिडेंसी कॉलेज के नाम से जाना जाता है।
1813 के बाद की शिक्षा व्यवस्था
1813 के चार्टर एक्ट के तहत ही EIC (ईस्ट इंडिया कंपनी )को यह निर्देश दिया गया की हर साल एक लाख रूपये शिक्षा व्यवस्था पर खर्च किया जाएगा जिसे की बाद में 1833 के चार्टर एक्ट के तहत इस राशि को को बड़ा 10 लाख रुपये कर दिया गया था।
- लॉर्ड विलियम बेंटिक के शासन काल में आंग्ल पाच्य विवाद होता है। जिसमे यह विवाद दो गुटों में होता है जिसमे एक होता है आंग्ल गुट में ट्रेविलियन व लार्ड मोकले थे। जिनका मानना था की भारतीयों को शिक्षा का माध्यम जो है। उसमे अंग्रेजी को रखा जाये जिस से यहाँ छोटी मोती जॉब मतलब क्लर्क बना कर व उनसे काम करवा सकते थे। लेकिन वही दूसरी तरफ
- प्राच्य गुट था जिसमे H.S.विल्सन हेनरी प्रिंसेस और जेम्स प्रिंसेप थे। इनका मानना था की भारतीयों को शिक्षा पारंपरिक भारतीय विषयों व भारतीयों भाषा में ही शिक्षा दी जाये।
- लेकिन यह विवाद बढ़ाता ही गया लेकिन बाद में इस विवाद को सुलझाने के लिए विलियम बेंटिग के द्वारा अपनी परिषद के विधि सदस्य ‘लार्ड मैकाले’ को नियुक्त किया जाता। मैकाले ने आंग्ल शिक्षा को चुनते है। जिसमे उन्होंने शिक्षा का माध्यम इंग्लिश को रखते है। लार्ड ऑकलैंड के द्वारा एक अधोमुखी निष्पादन (Downward execution )का सिद्धांत भी देते है। मैकाले की रिपोर्ट से ही विलियम बेंटिग ने 1835 में भारत में अंग्रेजी भाषा को लागू किया।
- लार्ड मैकाले को भारत में अंग्रेजी भाषा का जनक माना जाता है।
- अधोमुखी निष्पादन (Downward execution )का सिद्धांत एक ऐसा सिंद्धांत था जिसमे यह व्यवस्था की जाती की ब्रिटिश सरकार के द्वारा केवल उच्च वर्ग के लोगो को पढ़ाया जाना था। जिस से उच्च वर्ग के लोग अपने से निचे वर्ग के लोगो को पड़ाएगे यह सिद्धांत को छन्नी का सिद्धांत भी बोला जाता है।
- लार्ड डलहौजी के समय बोर्ड और कंट्रोल के अध्यक्ष चार्ल्स वुड ने 1854 में भारतीय शिक्षा से सम्बंधित एक योजना को प्रस्तुत किया जाता है जिसे ही हम वुड डिस्पैच (Wood Dispatch ) के नाम से जानते है।
1854 वुड डिस्पैच (Wood Dispatch ) योजना क्या है
वुड डिस्पैच को भारतीय शिक्षा का मैग्नाकार्टा भी कहा जाता है।
- इस योजना का मुख्य फोकस यह था उच्च शिक्षा /University शिक्षा या फिर प्रासाच्या शिक्षा का प्रचार प्रसार करना था।
- शिक्षा का माध्यम -अधोमुखी निष्पादन सिद्धांत के एकदम विपरीत था। मतलब की उच्च शिक्षा को अंग्रेजी में देना तथा स्कूली शिक्षा को स्थानीय भाषा में देना था।
- सरचना -1857 में बॉम्बे कोलकाता और मद्रास में यूनिवर्सिटी की स्थापना की जाती हैं और इनमे शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी को रखा जाता है।
- कलकत्ता विश्वविद्यालय को ही भारत का प्रथम विश्वविद्यालय कहा जाता है।
- गांव में स्थानीय भाषा वाला प्राधमिक पादसला और जिला लेवल पर आंग्ल देसी भाषाई हाई स्कूल की स्थापना की गई।
- वुड डिस्पैच ने पहली बार महिला शिक्षा को बढ़ावा मिला। इससे कलकत्ता में बेथिनु स्कूल (1849 ) की स्थापना की गई जो भारत में पहला महिला स्कूल है।
वुड डिस्पैच के बनने के बाद ही प्रांतो में लोक शिक्षा विभाग (Public Education Department )की स्थापना की जाती है।
पहली प्रिंटिंग प्रेस की स्थापना
हंटर शिक्षा आयोग | Hunter Education Commission (1882-83) –
- इस कमीशन की नियुक्ति लार्ड रिपन के समय विलियम हंटर की निगरानी में 1882 के अंदर इस आयोग के बनाया जाता है।
- इसका मुख्य उदेश्य 1854 के बाद प्राथमिक और middal स्तर की शिक्षा की प्रगति की समीक्षा था |
- इसके 8 भारतीय सदस्य भी शामिल थे।
- सिफारिशें ( Recommendations) – प्राथमिक शिक्षा(Primary education) को स्थानीय भाषा (Local language) में दिया जाना चाहिए।
- माध्यमिक शिक्षा( Secondary education) में साहित्य को university के लिए तथा middal क्लास के लिए business की शिक्षा दी जानी चाहिए।
- प्रभाव – इस से माध्यमिक व collage की शिक्षा में तेजी से विकास हुआ। ऐसी के साथ ही पंजाब (1882 )व इलाहाबाद (1887 ) में यूनिवर्सिटी की स्थापना की गई।
भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम | Indian Universities Act (1904)
लार्ड कर्जन ने विश्वविद्यालयों की शिक्षा की समीक्षा को करने के लिए 1902 में थॉमस रैले की आयोग के सिफारिसो के आधार पर ही भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम | Indian Universities Act (1904) को लाया जाता है।
- इसमें दो भारतीय को भी शामिल किया गया था 1. सईद हुसैन बिलग्रामी (Syed Hussain Bilgrami )2.जस्टीक्स गुरूदास बनर्जी ( Justice Gurudas Banerjee)
- 1904 में लार्ड कर्जन ने पुरातात्विक विभाग का पुनर्गठन करवाया था लेकिन वास्तव में पुरातत्व विभाग की स्थापना अलेक्जेंडर II ने की थी।
- लार्ड कर्जन ने बंगाल के पूसा नामक स्थान पर एक कृषि अनुसंधान केंद्र की स्थापना भी की थी।
- इस अधिनियम के द्वारा विश्वविद्यालय पर सरकारी नियंत्रण बढ़ा दिया गया तथा सरकार को सीनेट के द्वारा पास किए गए प्रस्तावों पर निषेध अधिकार दिया गया और सरकार को यह भी अधिकार था कि वह सीनेट द्वारा बनाए गए नियमों में परिवर्तन एवं संशोधन भी कर सकती हैं यदि सरकार आवश्यक समझे तो उन्हें इस संबंध में नए नियम भी बना सकते थे।
- उच्च शिक्षा तथा कॉलेज विश्वविद्यालयों के उत्थान के लिए 5 लाख की राशि प्रतिवर्ष की दर से 5 वर्षों के लिए स्वीकृत की गई।
- गवर्नर जनरल को विश्वविद्यालयों की क्षेत्रीय सीमा निर्धारित करने का अधिकार दे दिया गया.
विश्वविद्यालय के सदस्यों की संख्या तथा अवधि कम की जानी चाहिए तथा यह भी प्रदान किया जाना चाहिए पर सदस्य सरकार के द्वारा मनोनीत किया जाना चाहिए।
निष्कर्ष
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