मूल कर्तव्य (Fundamental Duties in hindi) भारतीय संविधान में शुरू से ही मूल कर्तव्य शामिल नहीं थे .इनको स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिश पर 42 वें संविधान संशोधन 1976 के द्वारा भारतीय संविधान में जोड़ा गया. इनको हमारे संविधान के भाग 4 के अनुच्छेद 51( क ) के तहत रखा गया है. इन कर्तव्यों का भारतीय नागरिकों को पालन करना अनिवार्य नही है .लेकिन अगर भारतीय नागरिक कुछ मूल कर्तव्यों का पालन नहीं करते हैं.या उनको अनादर करते हैं तो इस दिशा में कुछ दंड भी दी जा सकते हैं .जैसे कि सार्वजनिक संपत्ति का प्रयोग सभी भारतीयों कर सकते है .लेकिन अगर इन्हीं सार्वजनिक संपत्ति को किसी नागरिक के द्वारा कोई नुकसान पहुंचाया जाता है. तो इनको कानून के द्वारा दंड भी दिया जा सकता है .हमारे संविधान में 1976 में 10 मूल कर्तव्य को जोड़ा गया था. लेकिन 11 मूल कर्तव्य को दिसंबर 2002 में संसद के द्वारा 86वा संविधान संशोधन किए जाने के साथ ही इसमें 6 से 14 वर्ष के बच्चों को माता पिता या उन बच्चों का जो पालन कर रहा है.उनके द्वारा उस बच्चे को शिक्षा प्रदान करवाना भी उनका एक मूल कर्तव्य है. इसी सविधान संशोधन के द्वारा 6 से 14 वर्ष के बच्चों को शिक्षा पाने का अधिकार भी अनुच्छेद 21 में वर्णित किया गया है
मूल कर्तव्य क्या है? (Fundamental Duties in Hindi) क्या यह हमारे मूल अधिकार से अलग है.
मोलिक अधिकार हमारे संविधान बन ने के साथ ही वर्णित है .इसके साथ ही नागरिकों के कुछ मूल कर्तव्य भी है। मान लीजिए कि हमारे घर में कोई मेहमान आता है ।तो उसको चाय पानी पिलाना हमारा मूल कर्तव्य है। अगर हम उसको चाय पानी ना पिलाएं तो इसके लिए हमें कोई भी कानूनी कार्रवाई के दौरान दंड नहीं दिया जा सकता है। इस लेख में हम आपको आसान भाषा में मूल कर्तव्य को विस्तार से बताएंगे।
11 Fundamental Duties in Hindi
भाग IV — 51 क — मौलिक कर्तव्य (Fundamental Duties in hindi)—भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा-
- पहला संविधान का पालन करना तथा इसके आदर्शों, इसके संस्थाओं ,राष्ट्रीय झंडे तथा राष्ट्रगान का सम्मान करना – यह हमारा एक मूल कर्तव्य है कि हम अपने देश का राष्ट्रीय गान व झंडे का सम्मान करें लेकिन अगर किसी नागरिक के द्वारा इसका अनादर किया जाता है. तो संसद के द्वारा कुछ कानून बनाए गए हैं. जिसके आधार पर किसी नागरिक को दंड भी दिया जा सकता है.
- दूसरा उच्च आदर्शों का सम्मान और पालन करना जिन्होंने हमारे स्वतंत्रता के लिए राष्ट्रीय संघर्ष को उत्प्रेरित किया -उनका भी सम्मान करना चाहिए जिन्होंने हमारे देश को आजाद करने के लिए अपना बलिदान दिया .
- तीसरा भारत की प्रभुसता , एकता और अखंडता को बनाए रखना और सुरक्षित रखना – प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होता है. कि वह अपने देश को एकता अखंडता को बनाए रखें.
- चौथा देश की रक्षा करना आवश्यकता पड़ने पर राष्ट्रीय सेवा करना – प्रत्येक नागरिक क यह कर्तव्य है. कि जरूरत पड़ने पर अपने देश की सेवा करें, यह सेवा अलग-अलग प्रकार से हो सकती है. जैसे करोना काल में डॉक्टरों के द्वारा किया गया सहयोग भी एक देश सेवा है. 42वें संविधान संशोधन के अंतर्गत राष्ट्रीय सेवा संघ शब्द का प्रयोग किया गया जिन का अर्थ केवल सैनिक सेवा ही नहीं,बल्कि किसी भी प्रकार की ऐसी सेवा , जिसका उद्देश्य राष्ट्रहित में हो.
- पांचवा धार्मिक भाषाई तथा क्षेत्रीय अथवा क्षेत्रीय अथवा वर्गीय भिन्नताओ से परे रहकर भारत के सब लोगों में मेल मिलाप तथा सामूहिक भाईचारे की भावना को बढ़ावा देना ,महिलाओं की प्रतिष्ठा का अपमान करने वाले व्यवहार को त्यागना.
- छटा हमारी शानदार संयुक्त संस्कृति की परंपरा का सम्मान करना और उसे बनाए रखना -औपनिवेशिक काल में अंग्रेजो के द्वारा भारतीय संस्कृति को नष्ट करने का हर संभव प्रयास किया गया था लेकिन स्वतंत्रता के बाद भी यह प्रभाव कम नहीं हुए अब प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य है.कि वह अपने देश की संस्कृति को सम्मान करें और उसे समृद्ध बनाने का प्रयत्न करें.
- सातवा जंगलों, झीलों, नदियों तथा जनजीवन सहित प्राकृतिक वातावरण को सुरक्षित रखना, सुधारना और सजीव प्राणियों के प्रति सहानुभूति रखना प्रत्येक भारतीय नागरिक का यह कर्तव्य हैं ,कि वह अपने पर्यावरण को शुद्ध बनाए रखें तथा पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ वन्यजीव प्राणियों तथा अन्य सभी प्राणियों के प्रति सहानुभूति पूर्वक व्यवहार करें.
- आठवां वैज्ञानिक मनोदशा ,मानवतावाद ,अन्वेषण और सुधार की भावना विकसित करना प्रत्येक भारतीय नागरिक का कर्तव्य होगा कि वह अंधविश्वास को समाप्त करें और अपने दृष्टिकोण को जागरूक और तर्कसंगत बनाए .
- .नोवा जन संपत्ति को सुरक्षित रखना और हिस्सा को त्यागना- पिछले कई वर्षों में हमारे देश में बहुत से ऐसे हिंसात्मक गतिविधि की गई है .जिससे कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया है .प्रत्येक भारतीय नागरिक का यह कर्तव्य बनता है. कि वह अपने सार्वजनिक संपत्ति को बनाए रखें, अगर किसी भारतीय नागरिक के द्वारा किसी सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जाता है. इसके लिए कानून के द्वारा उसको दंड भी दिया जा सकता है.
- दसवा व्यक्तिगत और सामूहिक सरकर सरगर्मी के हर क्षेत्र में श्रेष्ठता के लिए कोशिश करना ,ताकि परिश्रम और प्राप्ति के सत्र की ओर की ओर लगातार उन्नत होता रहे.
- 11- माता-पिता द्वारा अपने बच्चों के लिए शिक्षा संबंधी अवसरों की व्यवस्था करना अवसरों की व्यवस्था करना यह मूल कर्तव्य भारत के संविधान में 86 वें संविधान संशोधन 2002 के द्वारा भाग 4 में अनुच्छेद 51 में संशोधन करके एक अन्य अनुच्छेद51-k जोड़कर एक अन्य मौलिक कर्तव्य बनाया गया जिसमें सभी 6 से 14 वर्ष के बच्चों को शिक्षा दिलाने मैं उनके माता-पिता व पालन करने वालो यह कर्तव्य होगा .और 6 से 14 वर्ष के बच्चों का यह मूल अधिकार भी है. की उन्हें शिक्षा प्रदान की जाए अगर किसी माता-पिता के द्वारा इन बच्चों को शिक्षा नहीं दिलाई जाती है.तो उनको दंड भी दिया जा सकता है
मौलिक कर्तव्य (Fundamental Duties in hindi) के बारे में यह कहा जाता है कि इनको संविधान में सम्मिलित करने की कोई आवश्यकता नहीं थी. क्योंकि इनमे से कई कर्तव्य को तो पहले से ही हमारे कानूनों द्वारा सुरक्षा प्राप्त थी.जैसे राष्ट्रीय सम्मान अपमान निवारण अधिनियम 1971 जिसमें कहा गया था कि पहले किसी के द्वारा अगर इन कर्तव्यों का उल्लंघन किया जाता था तो उनको दंड दिया जा सकता था.
इसी प्रकार स्त्रियों और लड़कियों के अनैतिक व्यापार पर का निषेध अधिनियम 1956 जिसमें स्त्रियों की प्रतिष्ठा का अपमान करने वाले व्यवहार को त्यागना के बारे में बताया गया था .
वन्य जीवन सुरक्षा अधिनियम 1972 इस कानून को जंगली जानवरों आदि को सुरक्षा प्रदान करने के लिए बनाया गया था.
इसी प्रकार हमारे संविधान में कुछ मौलिक अधिकार भी कर्तव्य को बताते हैं जैसे अनुच्छेद 17(Article 17) जो छुआछूत को समाप्त करने की बात करता है और प्रत्येक भारतीय नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह इस कृति को व्यवहार में ना अपनाएं .
इसी प्रकार अनुच्छेद 23 (Article 23 ) जो यह बताता है कि मनुष्य के व्यापार, बेगार तथा थोपे गए श्रम द्वारा दूसरों का शोषण ना करें इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए यह प्रश्न उठना स्वभाविक है. की मौलिक कर्तव्य को संविधान में शामिल करने की क्या आवश्यकता थी.
जिस प्रकार भारतीय संविधान में मौलिक मौलिक Fundamental Right )अधिकार को राज्य द्वारा कम या हनन किए जाने पर सर्वोच्च न्यायालय में जाया जा सकता है .लेकिन मौलिक कर्तव्य (Fundamental Duties in hindi) को अवादयोग्य बनाया गया है. जिस प्रकार सभी नागरिकों के कुछ मौलिक अधिकार हैं उसके साथ ही हमारे कुछ मोलिक कर्तव्य भी हैं . लेकिन कुछ ऐसे भी मौलिक कर्तव्य हैं. जिनका अगर हम उल्लंघन करते हैं तो संसद के द्वारा बनाए गए कानूनों के द्वारा उन नागरिकों को दंडित भी किया जा सकता है.जैसे चंदन की लकड़ी काटना, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना, राष्ट्रीय ध्वज या राष्ट्रगान का अपमान करना , अभिभावकों के द्वारा अपने बच्चों को जिनकी उम्र 6 से 14 वर्ष है उनको शिक्षा ना दिलाना इन सभी में इनको संसद के द्वारा बनाए गए कानूनों में दंड दिया जा सकता है.
आशा करते हैं कि हमारे द्वारा दी गई मौलिक कर्तव्यों (Fundamental Duties in hindi) की जानकारी आपको पसंद आई होगी इसी प्रकार हमने पिछले लेख में मौलिक अधिकारों और राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों की जानकारी को पूरे विस्तार में समझाया है. यदि आपके पास इस लेख से संबंधित कोई अन्य जानकारी है तो हम से आप संपर्क कर सकते हैं .या इस लेख में किसी प्रकार की कोई समस्या हो तो हमें सोशल मीडिया के जरिए संपर्क स्थापित कर सकते हैं.
- मौलिक कर्तव्य को भारतीय संविधान में कब जोड़ा गया -42वा संविधान संशोधन 1976
- मौलिक कर्तव्य को किस समिति की सिफारिश पर भारतीय संविधान में जोड़ा गया – स्वर्ण सिंह समिति
- मौलिक कर्तव्यों को किस समिति की सिफारिश पर लागू किया गया-वर्मा समिति दवारा
- इन मौलिक अधिकारों को किस भारतीय संविधान संशोधन के द्वारा संविधान में जोड़ा गया – 42 वा
- क्या मौलिक कर्तव्य मूल संविधान में शामिल किए गए थे – नहीं
- क्या मौलिक कर्तव्य (Fundamental Duties) , मौलिक अधिकार की तरह वाद योग्य हैं- नही
- अगर किसी नागरिक के द्वारा मौलिक कर्तव्य का पालन न किया जाए तो क्या उनको दंड दिया जा सकता है कुछ मोलिक कर्तव्य (Fundamental Duties) में दंड दिया जा सकता है .
- भारतीय संविधान में मूल कर्तव्यों को भूतपूर्व सोवियत संघ के संविधान से लिया गया है.