भारतीय नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) 2019 (Citizenship Amendment Act, CAA) 2019 ,भारतीय नागरिकता के अधिकारों और नागरिकता का प्रावधान करने वाले नागरिकता कानून को संशोधित करने के लिए भारतीय संसद द्वारा पारित किया गया था।यह कानून विशेष रूप से धार्मिक असहिष्णुता से प्रभावित देशों से आए हुए नागरिकों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान करता है। इसके अनुसार, हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म से जुड़े लोग अगर अधिनियम की निर्दिष्ट शर्तों को पूरा करते हैं तो उन्हें भारतीय नागरिकता प्राप्त करने में सहायता मिलती है।
नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) 2019 क्यों लाना जरूरी था।
इस अधिनियम के तहत, 2014 से पहले भारत आए हुए अवैध मिश्रित धर्मीय नागरिकों को भी भारतीय नागरिकता प्राप्त करने का प्रावधान किया गया है।यह कानून बहुत सारे विवादों के केंद्र बना और विभिन्न क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शनों की वजह बना। कई लोगों के मानने पर, यह कानून धार्मिक असहिष्णुता को प्रोत्साहित करने का प्रयास है और भारत के संविधानिक मूल्यों के खिलाफ है। इसके समर्थकों के मुताबिक, यह कानून अवैध मिश्रित धर्मीय नागरिकों को उनके अतीत की उच्चतमता देकर उन्हें भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक संपत्ति से जोड़ने का प्रयास है।यह अधिनियम भारतीय नागरिकता के प्रावधानों को संशोधित करने के साथ-साथ यह भी निर्दिष्ट करता है कि बांग्लादेश, पाकिस्तान, और अफ़ग़ानिस्तान से आए हुए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोगों को अवैध मिश्रित धर्मीय नागरिकों के रूप में मान्यता प्राप्त नहीं होगी
Citizenship Amendment Act, CAA कब पारित हुआ
यह कानून 2019 में पारित हुआ था . भारतीय नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act, CAA) 2019 भारतीय नागरिकता के अधिकारों और नागरिकता का प्रावधान करने वाले नागरिकता कानून को संशोधित करने के लिए भारतीय संसद द्वारा पारित किया गया था।यह कानून विशेष रूप से धार्मिक असहिष्णुता से प्रभावित देशों से आए हुए नागरिकों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान करता है। इसके अनुसार, हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म से जुड़े लोग अगर अधिनियम की निर्दिष्ट शर्तों को पूरा करते हैं तो उन्हें भारतीय नागरिकता प्राप्त करने में सहायता मिलती है। इस अधिनियम के तहत, 2014 से पहले भारत आए हुए अवैध मिश्रित धर्मीय नागरिकों को भी भारतीय नागरिकता प्राप्त करने का प्रावधान किया गया है।यह कानून बहुत सारे विवादों के केंद्र बना और विभिन्न क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शनों की वजह बना। कई लोगों के मानने पर, यह कानून धार्मिक असहिष्णुता को प्रोत्साहित करने का प्रयास है और भारत के संविधानिक मूल्यों के खिलाफ है। इसके समर्थकों के मुताबिक, यह कानून अवैध मिश्रित धर्मीय नागरिकों को उनके अतीत की उच्चतमता देकर उन्हें भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक संपत्ति से जोड़ने का प्रयास है।यह अधिनियम भारतीय नागरिकता के प्रावधानों को संशोधित करने के साथ-साथ यह भी निर्दिष्ट करता है कि बांग्लादेश, पाकिस्तान, और अफ़ग़ानिस्तान से आए हुए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोगों को अवैध मिश्रित धर्मीय नागरिकों के रूप में मान्यता प्राप्त नहीं होगी।
निष्कर्ष
भारतीय नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act, CAA) 2019 भारतीय नागरिकता के अधिकारों और नागरिकता का प्रावधान करने वाले नागरिकता कानून को संशोधित करने के लिए भारतीय संसद द्वारा पारित किया गया था।यह कानून विशेष रूप से धार्मिक असहिष्णुता से प्रभावित देशों से आए हुए नागरिकों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान करता है। इसके अनुसार, हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म से जुड़े लोग अगर अधिनियम की निर्दिष्ट शर्तों को पूरा करते हैं तो उन्हें भारतीय नागरिकता प्राप्त करने में सहायता मिलती है।
नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) क्या है?
नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) भारतीय नागरिकता कानून को संशोधित करने का एक कानून है जो 2019 में पारित किया गया। इस अधिनियम के तहत, धार्मिक असहिष्णुता से प्रभावित देशों से आए हुए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोगों को भारतीय नागरिकता प्राप्त करने में सहायता प्रदान की जाती है।
2: CAA के तहत कौन-कौन से धर्मों के लोग इसका लाभ उठा सकते हैं?
CAA के तहत, हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोग अगर नागरिकता प्राप्ति के लिए निर्धारित शर्तों को पूरा करते हैं तो उन्हें भारतीय नागरिकता प्राप्त करने में सहायता मिलती है।
3: किस प्रकार के देशों से आए हुए लोग CAA के तहत भारतीय नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं?
CAA के तहत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, और अफ़ग़ानिस्तान से आए हुए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोग अवैध मिश्रित धर्मीय नागरिकों के रूप में मान्यता प्राप्त कर सकते हैं।
4: CAA की वजह से विवाद क्यों हुआ है?
CAA के प्रतिष्ठित क्रिटिक्स के मानने पर, यह कानून धार्मिक असहिष्णुता को प्रोत्साहित करने का प्रयास है और भारत के संविधानिक मूल्यों के खिलाफ है। इसके समर्थकों के मुताबिक, यह कानून अवैध मिश्रित धर्मीय नागरिकों को उनके अतीत की उच्चतमता देकर उन्हें भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक संपत्ति से जोड़ने का प्रयास है।
5: CAA का क्रियान्वयन कब से शुरू होगा?
CAA का क्रियान्वयन और इसके तहत नागरिकता प्राप्ति के नियम बाधित होने के लिए संघर्ष करने के लिए अभी तक कोई तिथि निर्धारित नहीं की गई है। इसे लागू करने के लिए अधिकृत निर्देशिकाएं तैयार की जाएंगी और विभिन्न प्रक्रियाएं प