भारतीय संविधान अनुच्छेद 19 (Article 19 in Hindi) kya hai

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संविधान में स्वतंत्रता के अधिकार का वर्णन अनुच्छेद 19(Article 19)  से 22 तक किया गया है सामूहिक सामूहिक रूप से यह चारों ही अनुच्छेद व्यक्ति स्वतंत्रता के अधिकार पत्र हैं। और मौलिक अधिकारों से संबंधित अध्याय का मुख्य आधार है। इस प्रकार यह अधिकार मौलिक अधिकारों की आत्मा है। क्योंकि इन अधिकारों के बिना अन्य अधिकारों का कोई महत्व नहीं रहता इन अधिकारों के आधार पर ही प्रजातंत्र समाज की कल्पना की जा सकती है।

अनुच्छेद 19(Article 19) के द्वारा निम्नलिखित 6 प्रकार की स्वतंत्रता प्रदान की गई है

उपबंध- अनुच्छेद 19(1)(a)- वाक् व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता                                           अपवाद 19(2)
उपबंध -19(1)(b)-          शांति पूर्वक एकत्रित होने का अधिकार                                                 अपवाद -19(3)
उपबंध -19(1)(c) –       संघ बनाने का अधिकार                                                                     अपवाद 19(4)
उपबंध – 19(1)(d) –    विचरण का अधिकार                                                                       अपवाद 19(5)
उपबंध -19(1)(e) –     निवास या बस जाने का अधिकार                                                        अपवाद 19(5)
उपबंध -19(1)(g) –  कोई भी व्यवसाय करने ,पेशा अपनाने या व्यापार करने का अधिकार     अपवाद 19(6)

अनुच्छेद 19 (1)(f) (Article 19)  को संविधान संशोधन के द्वारा भाग-3 से हटाकर XII में शामिल किया गया है और अनुच्छेद 300A एक अंतर्गत अब इसे विधिक अधिकार बना दिया गया है।

अनुच्छेद 19 (article 19)  के अंतर्गत शामिल विभिन्न प्रकार के अपराधों को सुप्रीम कोर्ट के द्वारा रमेश थापर बनाम मैसूर राज्य 1950 के फैसले के बाद पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सन 1951 में संविधान के पहले संशोधन के द्वारा इन अपराधों को जोड़ा गया था।(सुप्रीम कोर्ट ने इस मुकदमे में कहा था कि किसी नागरिक के वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संबंधी अधिकार कुछ तार्किक आधारों पर ही सीमित किए जा सकते हैं किंतु इनका वर्णन संविधान में होना चाहिए अन्यथा कार्यपालिका के द्वारा लगाई गई पाबंदी को अमान्य घोषित किया जाएगा।)

 

19(1)(a) (Article 19) – वाक् व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता

संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) अनुसार सभी नागरिकों को भाषण देने और अपने विचार प्रकट करने की स्वतंत्रता प्रदान की गई है वह इन विचारों को बोलकर लिखकर या छपवाकर इन्हें प्रकट कर सकते हैं प्रेस की स्वतंत्रता अनुच्छेद 19(1)(a) में ही शामिल की गई है। अर्थात किसी प्रेस में काम करने वाले संवादाता अथवा रिपोर्टर अथवा पत्रकार के वही अधिकार होंगे जो कि एक नागरिक के होते हैं इसलिए प्रेस का हमारे संविधान में अलग से उल्लेख नहीं किया गया है।

वाह और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में सम्मिलित अधिकार

  • बोलने की स्वतंत्रता
  • अपने विचार को प्रस्तुत एवं प्रसारित करने का अधिकार
  • प्रेस की स्वतंत्रता (विचारों ,भाषणों को छापने की स्वतंत्रता) (साकल पेपर्स लिमिटेड बनाम भारत संघ)
  • जानने का अधिकार( Right To Know )सूचना का अधिकार (RTI act 2005)
  • फोन टेप करने के विरुद्ध अधिकार
  • राष्ट्रीय ध्वज फहराने का अधिकार
  • अभिव्यक्ति पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता हो तो विदेश भ्रमण मूल अधिकार लेकिन परोक्ष प्रभाव में नहीं( मेनका गांधी बनाम भारत संघ)
  • खुद के प्रचार के लिए व्यापारिक विज्ञापन देने का अधिकार शिक्षण का माध्यम चयन करने का अधिकार
  • मौन रहने की स्वतंत्रता (इमैनुएल बनाम भारत संघ)

अनुच्छेद 19(2) अपवाद संविधान के अनुच्छेद 19(2) के अंतर्गत इस अधिकार पर राज्य न्यायालय के अपमान ,सदाचार तथा नैतिकता, राज्य की सुरक्षा, लोक व्यवस्था , किसी हिंसा  को उकसाना या उकसाने का प्रयास करना या  हिंसा को भड़काना आदि के आधार पर उचित प्रतिबंध लगाया जा सकता है कोई भी नागरिक इन अधिकारों का प्रयोग दूसरे का अपमान करने के लिए नहीं कर सकता।

अनुच्छेद  19(1)(b) शांतिपूर्वक तथा बिना शास्त्रों के इकट्ठा होने की स्वतंत्रता

भारतीय संविधान के अनुच्छेद  19(1)(b) के अनुसार देश के सभी नागरिकों को बिना हथियार के शांतिपूर्वक तरीके से इकट्ठा होने ,सभा करने तथा जुलूस निकालने की स्वतंत्रता प्रदान की गई है। इन सभाओं और जुलूसों में नागरिक अपने विचार प्रकट कर सकते हैं तथा अपने उद्देश्यों को पर्याप्त करने का प्रयास कर सकते हैं। यदि किसी भी अधिकारी को यह आशंका होती है कि जो लोग एकत्रित हो रहे हैं। उनके इरादे नेक नहीं है तो वहीं पर पाबंदी भी लगा सकते हैं।
इसी को ध्यान में रखते हुए हमारे संविधान में अनुच्छेद 19(3) इसका अपवाद है जिसके अंतर्गत स्वतंत्रता पर भी राज्य उचित प्रतिबंध लगा सकता है। सार्वजनिक शांति और सुरक्षा, भारत की अखंडता और सुरक्षा की दृष्टि से इस पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है धारा 144 का लगाया जाना इसी प्रतिबंध का एक उदाहरण है।

अनुच्छेद  19(1)(c) संघ और समुदाय बनाने की स्वतंत्रता

संविधान के अनुच्छेद 19 के अनुसार सभी नागरिकों को अपने विभिन्न लक्ष्यों की पूर्ति के लिए संगठित होने और संघ बनाने तथा समुदाय बनाने की स्वतंत्रता दी गई वर्ष 2001 में 97 संविधान संशोधन द्वारा 19(1)(c) में सहकारिता शब्द को जोड़ा गया अर्थात कोई भी व्यक्ति कोई संघ बना सकता है ,कोई संगम बना सकता है किसी एक उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए कोई संघ बना सकता है।
इसका अपवाद 19(4) है उदाहरण के लिए देश के भीतर ऐसे संगठनों को जो देश की एकता और अखंडता को कमजोर कर सकते हैं। हिंसा का सहारा लेते हैं सरकार व जनविरोधी कार्य करते हैं और संप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ते हैं।को संघ बनाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। उदाहरण के लिए भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों में सक्रिय माओवादी गुट को कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं है।

अनुच्छेद  19(1)(d) भारत के किसी भी क्षेत्र में आने जाने की स्वतंत्रता

संविधान के अनुच्छेद के अनुसार सभी नागरिकों को भारत के समस्त क्षेत्र में घूमने ,फिरने ,आने जाने की स्वतंत्रता प्रदान की गई है एक स्थान से दूसरे स्थान पर आने जाने के लिए किसी भी तरह की आज्ञा पत्र लेने की आवश्यकता नहीं है. नागरिक भारत के एक कोने से दूसरे कोने तक बिना रोक-टोक आ जा सकते हैं लेकिन नागरिकों के बीच शरण को विचरण को सीमित किया जा सकता है ।
 19(5)अपवाद उदाहरण के लिए जैसे 2020 के अंदर विश्व में corona  नमक की बीमारी उत्पन्न हुई थी जो कि एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक आसानी से पहुंच जाती थी सरकार ऐसी परिस्थिति में व्यक्तियों के एक स्थान से दूसरे स्थान की जाने की स्वतंत्रता को सीमित या कुछ दिन के लिए रोक सकती है इसी प्रकार समाज व देश विरोधी कार्य के लिए यह शांति भंग के लिए किसी को वितरण की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

अनुच्छेद  19(1)(e)  भारत के किसी भी भाग में रहने और निवास करने की स्वतंत्रता

संविधान के अनुच्छेद 19 के अनुसार किसी राज्य में भारत राज्य क्षेत्र में कहीं भी किसी भी नागरिक को जमीन खरीदने वहां पर घर बनाकर बसने का अधिकार है किंतु अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों की जमीन खरीदने से पूर्व उस व्यक्ति को प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट से अनुमति लेनी होगी अन्यथा उसके द्वारा किया गया सौदा अवैध माना जाएगा जा अनुच्छेद 19(5)  अपवाद  के अंतर्गत राज्य सार्वजनिक हित के आधार पर इस स्वतंत्रता पर भी उचित प्रतिबंध लगा सकता है,,

अनुच्छेद 19(1)(g) कोई भी व्यवसाय करने पैसा अपनाने या व्यापार करने की स्वतंत्रता

संविधान के अनुच्छेद 19  (article 19) के अनुसार सरकार किसी नागरिक को कोई कार्य करने या न करने के लिए बाध्य नहीं कर सकती है अपनी आजीविका कमाने के लिए नागरिकों को कोई भी व्यवसाय पेशा या व्यापार करने की स्वतंत्रता है किंतु इस संबंध में निम्नलिखित उपवादो पर भी ध्यान देना होगा पहला किसी व्यक्ति को ऐसे कारोबार करने की अनुमति नहीं दी जाएगी जो अंधविश्वास को बढ़ावा देता है जैसे काला जादू का प्रयोग कर किसी बीमारी को ठीक करने का दावा करना दूसरा ऐसे विज्ञापनों पर भी रोक जो जादू के माध्यम से किसी टोना या भूत प्रेत की साया को दूर भगाने का दावा करते हो
किसी को ऐसे कारोबार की अनुमति नहीं दी जाएगी जो लोक व्यवस्था और शांति के लिए खतरा हो किसी मर्यादा नैतिकता का उल्लंघन करने वाले व्यवहारों पर भी रोक रहेगी

स्वतंत्रता के अधिकार के संबंध में अनुच्छेद 19  (article 19) के 6 स्वतंत्रता ओं के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय ने सन 1997 में दो महत्वपूर्ण निर्णय दिए जो कि इस प्रकार है प्रथम निर्णय में कहा गया कि टेलीफोन टेपिंग व्यक्ति की गोपनीयता का गंभीर उल्लंघन है अंतः राज्य के द्वारा टेलीफोन टैपिंग का उस समय तक आश्रय नहीं लिया जाना चाहिए जब तक कि सार्वजनिक सुरक्षा या सार्वजनिक हित में ऐसा करना आवश्यक न हो जाए
दूसरा सर्वोच्च न्यायालय ने 13 नवंबर 1997 में को दिया इस निर्णय में प्रमुख उद्देश्य से किसी संगठन द्वारा करवाई गई हड़ताल तथा किसी राजनीतिक दल या संगठन द्वारा बलपूर्वक कराए गए बंद में अंतर करते हुए बंद को गैरकानूनी घोषित किया बंद में सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट किया जाता है व जन- जीवन भी ठप कर दिया जाता है

निष्कर्ष

इस प्रकार यह स्पष्ट है किस सभी स्वतंत्रता ओं को असीमित रूप में नहीं दिया गया बल्कि उन पर उचित प्रतिबंध लगाए गए हैं और लगाए जा सकते हैं अधिकतर सार्वजनिक शांति तथा व्यवस्था राज्य की सुरक्षा तथा अखंडता सार्वजनिक नैतिकता लोकहित अनुसूचित जाति और कबीलों के हितों आदि के आधार पर यह प्रतिबंध लगे हुए हैं और लगाए जा सकते हैं।

article 19 को पड़ने के साथ ही आपको पिछने आर्टिकल को भी पढ़ना चाहिए। article 19 के बाद आप आर्टिकल 14,15 को भी पढ़ सकते है

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