संविधान संशोधन 1951 से 2021 तक PART -2

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नमस्कार दोस्तों जैसा कि हमने पिछले लेख भारतीय संविधान संशोधन पार्ट 1 में 1 से लेकर 36 तक संविधान संशोधन का अध्ययन कर चुके हैं अब इस अभी इस सविधान संशोधन भाग नंबर 2 में हम आगे के सविधान संशोधनों का अध्ययन करने वाले हैं।

अनुच्छेद 368

भारतीय संविधान के भाग XX के अनुच्छेद 368 में संवैधानिक संशोधन की बात की गई हैं। संवैधानिक संशोधन की प्रकिया केवल संसद के किसी भी सदन मे एक विधेयक के रूप मे प्रस्तुत किया जाता हैं ससद के दोनो सदनो की स्वीकृत मिलने के बाद यह प्रेसिडेंट को हस्तारित कर दिया जाता है। प्रेसिडेंट के हस्ताक्षर करने के बाद यह एक्ट या अधिनियम बन जाता हैं।

37. सैंतीसवाँ  संशोधन , 1975 ( The Thirty – seventh Amendment , 1975 )

इस संशोधन द्वारा  संसद कानून द्वारा अरुणाचल प्रदेश के संघीय क्षेत्र के लिए विधानसभा या मंत्रिपरिषद  दोनों की व्यवस्था कर सकती है ।

38. अड़तीसवाँ संशोधन , 1975 ( The Thirty – eighth Amendment , 1975 )

जुलाई , 1975 में पारित इस राष्ट्रपति , राज्यपाल तथा उप – राज्यपाल द्वारा जारी किए गए अध्यादेशों और राष्ट्रपति की आपात्कालीन शक्तियों को न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र से बाहर कर दिया ।

39. उनतालीसवाँ संशोधन , 1975 ( The Thirty – ninth Amendment , 1975 )

अगस्त , 1975 में आपात्काल के दौरान पास इस अधिनियम ने राष्ट्रपति , उप – राष्ट्रपति , लोकसभाध्यक्ष और प्रधानमन्त्री के चुनाव को न्यायालय के क्षेत्र से बाहर करके उसके लिए संसद की अलग से एक समिति गठित करने की व्यवस्था की । इसने 1951 के जन प्रतिनिधित्व कानून में 1974 और 1975 में किए गए संशोधनों , आन्तरिक सुरक्षा कानून ( MISA ) आदि 37 अन्य कानूनों को भी नौवीं अनुसूची में शामिल करके  न्यायपालिका के क्षेत्राधिकार से बाहर कर दिया ।

40. चालीसवाँ संशोधन , 1975 ( The Fortieth Amendment , 1975 )

संविधान का यह संशोधन यह व्यवस्था है कि राष्ट्रपति , प्रधानमन्त्री और राज्यों के राज्यपालों के विरुद्ध , उनके कार्यकाल में या अवकाश ग्रहण करने पर , उनके शासन सम्बन्धी विषयों के बारे में किसी प्रकार का कोई फौजदारी या दीवानी मुकद्दमा नहीं चलाया जा सकेगा.

41. इकतालीसवाँ संशोधन , 1976 ( The Forty – first Amendment , 1976 )

यह संशोधन संसद द्वारा अगस्त 1976 में पास किया गया । इसके द्वारा राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्यों को अवकाश ग्रहण करने की आयु 60 से बढ़ाकर 62 गई है ।

42. बयालीसवाँ संशोधन , 1976 ( The Forty – second Amendment , 1976 )

59 अनुभागों ( Sections ) व ‘ लघु संविधान ’ ( Mini Constitution ) सन् 1976 में आपात्काल के दौरान पास किया गया । इसने
( i ) राष्ट्रपति के लिए मन्त्रि की सलाह मानना आवश्यक बनाने , ( ii ) लोक सभा और विधानसभाओं का कार्यकाल 6 वर्ष करने
( iii ) संसद की सर्वोच्चत करने ,
( iv ) उद्देशिका या प्रस्तावना में समाजवादी , पंथ – निरपेक्षता ( Socialist , Secular ) शब्द बढ़ाने ,
( v ) केन्द्र – राज्य सम परिवर्तन करने ,
( vi ) मौलिक अधिकारों के ऊपर राज्य के नीति – निदेशक सिद्धान्तों को प्रमुखता देने ,
( vii ) न्यायपालिका की पुनर्निरीक्षण की शक्ति को निष्प्रभावी बनाने और
( viii ) राज्यों में सशस्त्र सेनाएँ भेजने तथा देश के किसी एक भाग में आपात लागू करने आदि की व्यवस्था की गई ।

43. तैंतालीसवाँ संशोधन , 1978 ( The Forty – third Amendment , 1978 )

( i) सर्वोच्च न्यायालय के लिए संसद के कानूनों की वैधानिकता को देखने के लिए कम – से – कम 7 न्यायाधीशों की पीठ की व्यवस्था 42वे संशोधन द्वारा की गई थी, वह समाप्त कर दी गई है ।

( ii 42वे संशोधन द्वारा 31 D अनुच्छेद को समाप्त कर दिया गया जिसके अनुसार संसद राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के लिए कानून बना सकती है

44. चवालीसवाँ संशोधन , 1979 ( The Forty – Fourth Amendment , 1979 )

  1. जनता पार्टी की सरकार ने , जिसने कि मार्च , 1977 के लोक सभा चुनाव में सत्ता प्राप्त की थी , अपने चुनाव घोषणा पत्र में कांग्रेस सरकार द्वारा पारित 42 वें संशोधन को समाप्त करने का जनता को आश्वासन दिया था । उसी के अनुसार पैंतालीसवाँ संशोधन बिल मई , 1978 में लोक सभा में पेश किया गया था , जिसमें 45 अनुच्छेद थीं । चूँकि राज्य सभा में विरोधी दलों का बहुमत था , इसलिए उसने इस संशोधन की कुछ धाराओं को अस्वीकृत करके शेष बिल पास कर दिया गया , जो दोबारा लोक सभा द्वारा पास किया गया । तत्पश्चात् संविधान की व्यवस्था के अनुसार इस बिल को 12 राज्यों की विधानसभाओं ने स्वीकृति दे दी । 30 अप्रैल , 1979 को राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त करने के बाद यह पैंतालीसवाँ संशोधन विधेयक संविधान का 44 वाँ संशोधन बन गया ।
  2. इस संशोधन के अन्तर्गत सम्पत्ति के अधिकार को कानूनी अधिकार बना दिया गया है । किसी व्यक्ति को उसकी सम्पत्ति से कानून के अनुसार ही वंचित किया जा सकता है ।
  3. अनुच्छेद 352 के अन्तर्गत राष्ट्रपति संकटकाल की घोषणा तभी कर सकता है , यदि मन्त्रिमण्डल राष्ट्रपति को संकटकाल की घोषणा करने की लिखित सलाह दे । संकटकाल की घोषणा तभी की जा सकती है , यदि भारत को अथवा भारत के किसी भाग की सुरक्षा को युद्ध अथवा बाहरी आक्रमण अथवा सशस्त्र विद्रोह ( Armed Rebellion ) से खतरा हो ।
  4. जीवन और स्वतन्त्रता के अधिकार को सुरक्षित बनाने के लिए यह व्यवस्था की गई कि संकटकाल में भी इन अधिकारों के सम्बन्ध में न्यायालय में अपील करने के अधिकार को स्थगित नहीं किया जा सकता ।
  5. राष्ट्रपति और उप – राष्ट्रपति के चुनाव से सम्बन्धित सभी सन्देह और विवादों की जाँच तथा निर्णय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किए जाएंगे और सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय अन्तिम होगा ।
  6. लोक सभा और राज्य विधानसभाओं की अवधि 6 वर्ष से घटाकर 5 वर्ष किए जाने की व्यवस्था है ।

45. पैंतालीसवाँ संशोधन , 1980 ( The Forty – fifth Amendment , 1980

इस संशोधन के द्वारा अनुसूचित जातियों , अनुसूचित जनजातियों और आंग्ल – भारतीयों के लिए 1990 तक लोक सभा , राज्य सभा तथा राज्य की विधानसभाओं में स्थान सुरक्षित किए गए हैं ।

46. छियालीसवाँ संशोधन , 1982 ( The Forty – sixth Amendment , 1982 )

बिक्री कर वसूली में कुछ कमियों को दूर करने के उद्देश्य से 46 वाँ संशोधन पास किया गया । इस संशोधन में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों के कारण कुछ व्यवसायों पर बिक्री कर की वसूली में बाधाओं को दूर करने की व्यवस्था है ।

47. सैंतालीसवाँ संशोधन , 1984 ( The Forty – Seventh Amendment , 1984 )

इस संशोधन के द्वारा भिन्न – भिन्न राज्यों के 14 भूमि सुधार कानूनों को नौंवी सूची में शामिल कर दिया गया , जिससे उनके सम्बन्ध में कोई मुकद्दमा न चलाया जा सके ।

48. अड़तालीसवाँ संशोधन , 1984 ( The Forty – Eighth Amendment , 1984 )

पंजाब में राष्ट्रपति शासन 6 अक्तूबर , 1983 को लागू किया गया था । इसकी अवधि 5 अक्तूबर , 1984 को समाप्त होनी थी । 48 वें संशोधन के द्वारा अनुच्छेद 356 में संशोधन करके राष्ट्रपति शासन की अवधि एक वर्ष और बढ़ा दी गई । इस संशोधन के अन्तर्गत पंजाब में राष्ट्रपति शासन 5 अक्तूबर , 1985 तक लागू रह सकता था ।

49. उनचासवाँ संशोधन , 1984 ( The Forty – ninth Amendment , 1984 )

इस संशोधन के द्वारा त्रिपुरा राज्य के कुछ क्षेत्रों को छठी सूची में शामिल कर दिया गया है , जिसके अनुसार कुछ जनजातीय क्षेत्रों को स्वशासित जिलों तथा स्वशासित प्रदेशों का स्तर दिया गया है ।

50. पचासवाँ संशोधन , 1984 ( The Fiftieth Amendment , 1984 )

इस संशोधन के द्वारा किन्हीं पुलिस दलों , कार्यालयों जयवा संस्थाओं में गुप्तचर या प्रतिगुप्तचर कार्य में अथवा दूर – संचार कार्य में लगे कार्यकर्ताओं को अनुच्छेद 33 के भाग III में शामिल कर दिया गया है ।

51. इक्यावनवाँ संशोधन , 1985 ( The Fifty – first Amendment , 1985 )

इस संशोधन द्वारा अनुच्छेद 330 और 332 में संशोधन किया गया

52. बावनवाँ संशोधन , 1985 ( The Fifty – second Amendment , 1985 )

इस संशोधन द्वारा दल – बदल की बुराई को समाप्त करने का प्रयास किया गया है ।दल बदलना गैर – कानूनी ठहराया गया है , जिसका दण्ड सदन की सदस्यता से निकाला जाना है ।

53 वाँ संशोधन , 1986 ( The Fifty – third Amendment , 1986 )

इस संशोधन के द्वारा संघीय क्षेत्र – मिजोरम को राज्य का दर्जा प्रदान किया गया ।

54. वाँ संशोधन , 1986 ( The Fifty – fourth Amendment , 1986 )

. इस संशोधन द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के वेतन में वृद्धि का अधिकार संसद को दिया गया।

55 वाँ संशोधन , 1987 ( The Fifty – fifth Amendment , 1987 )

यह संशोधन जनवरी , 1987 में पास किया ए इस संशोधन के अनुसार अरुणाचल को पूर्ण राज्य का दर्जा प्रदान किया गया ।

56 वाँ संशोधन , 1987 ( The Fifty – sixth Amendment , 1987 )

इस संशोधन के अनुसार संघीय – क्षेत्र गोवा 25 वाँ राज्य बनाया गया ।

57 वाँ संशोधन , 1987 ( The Fifty – seventh Amendment , 1987 )

यह संशोधन गोवा राज्य की विधानसभा के सम्बन्ध में है । इसके अनुसार गोवा राज्य की विधानसभा के 40 सदस्य होंगे ।

58 वाँ संशोधन , 1987 ( The Fifty – eighth Amendment , 1987 )

इस संशोधन के द्वारा अनुच्छेद 332 में संशोधन किया गया है , ताकि अरुणाचल , मेघालय , मिजोरम और नागालैण्ड के अनुसूचित कबीलों के लिए स्थान सुरक्षित किए जा सके ।इसके साथ ही president को सविधान का प्रामाणिक हिंदी के प्रकाशन को बढ़ावा देने के लिए अधिकृत किया गया

 59 वाँ संशोधन , 1988 ( The Fifty – ninth Amendment , 1988 )

सन् 1988 के शुरु में पास किए गए इस एक्ट में पंजाब में सशस्त्र विद्रोह के साथ – साथ आन्तरिक गड़बड़ी के आधार पर भी आपात् स्थिति को लागू करना सम्भव बना इसके द्वारा वहाँ पर राष्ट्रपति शासन की अवधि छह – छह मास करके संसद तीन वर्ष तक भी बढ़ा सकती है ।

60 वाँ संशोधन , 1988 ( The Sixtieth Amendment , 1988 )

इस संशोधन के द्वारा व्यावसायिक कर ( Profession Tax ) को 250 रुपए प्रति वर्ष से बढ़ाकर 2,500 रुपए प्रति वर्ष कर दिया गया है ।

 61 वाँ संशोधन , 1989 ( The Sixty – first Amendment , 1989 )

इसके द्वारा अनुच्छेद 326 में संशोधन करके मतदान की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई ।

 62 वाँ संशोधन , 1990 ( The Sixty – second Amendment , 1990 )

इसके द्वारा लोक सभा एवं विधानसभा अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए सीटों का आरक्षण अगले 10 वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया है । यह आरक्षण सन् 200 कर दिया गया है ।

 63 वाँ संशोधन , 1990 ( The Sixty – third Amendment , 1990 )

इसे पंजाब में राष्ट्रपति शासन की अवधि में वर्ष समाप्त होने के बाद 6 महीने और बढ़ाने के लिए पास किया गया ।

 64 वाँ संशोधन , 1990 ( The Sixty – fourth Amendment , 1990 )

इसके द्वारा पंजाब में राष्ट्रपति शासन अवधि अगले 6 महीने के लिए बढ़ाई गई ।

65 वाँ संशोधन , 1990 ( The Sixty – Fifth Amendment , 1990 )

इसके द्वारा राज्यों के 55 भूमि सीमा कानून संविधान की 9 वीं सूची में शामिल किया गया है ।

 66 वाँ संशोधन , 1990 ( The Sixty – sixth Amendment , 1990 )

यह संशोधन 75 वें संशोधन विधेयक के रूप में पेश हुआ था , पर कोरम के अभाव में पारित नहीं हो सका । उसके बाद उसे 76 वें संशोधन विधेयक के रूप में पेश करके 1991 को पास कर दिया गया । पास होने पर इसकी संख्या छियासठवीं कर दी गई क्योंकि अन्य संशोधन विधेयक पेंडिंग है और वे पास नहीं हुए हैं । इसने अनुच्छेद 356 की उपधारा 4 के तीसरे भाग में ‘ चार वर्ष ‘ के स्थान पर ‘ पाँच वर्ष ‘ शब्द रख हैं । यह भी पंजाब से सम्बन्धित है ।

 67 वाँ संशोधन , 1990 ( The Sixty – seventh Amendment , 1990 )

पंजाब में 10 नवम्बर , 1990 को समाप्त हो रहे राष्ट्रपति शासन को अगले 6 महीने तक बढ़ाने के लिए यह संवैधानिक संशोधन लागू किया गया ।61 वाँ संशोधन संसद ने दिसम्बर , 1988 में क किया । इसके द्वारा अनुच्छेद 326 में संशोधन करके मतदान की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई .

 68 वा सशाधन , 1991 ( The Sixty – eighth Amendment , 1991 )

इस संशोधन के द्वारा पंजाब में राष्ट्रपति शासन की अवधि एक वर्ष तक और लागू करने की व्यवस्था की गई , अर्थात् अब पंजाब में 5 वर्ष तक राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है ।

 69 वाँ संशोधन , 1991 ( The Sixty – ninth Amendment , 1991 )

इस संशोधन के द्वारा संघ शासित क्षेत्र दिल्ली में विधानसभा एवं मन्त्रिमण्डल की व्यवस्था की गई ।

70 वाँ संशोधन , 1992 ( The Seventieth Amendment , 1992 )

इस संशोधन द्वारा अनुच्छेद 54 में यह भी जोड़ दिया गया है कि ‘ राज्य ‘ शब्द में ‘ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र राज्य दिल्ली ‘ और संघ राज्य क्षेत्र पांडिचेरी भी शामिल हैं ।

71 वाँ संशोधन , 1992 ( The Seventy – first Amendment , 1992 )

इस संशोधन द्वारा मणिपुरी , कोंकणी व नेपाली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कर लिया गया है । अब 8 वीं सूची में 18 भाषाएं हो गई ।

 72 वाँ संशोधन , 1992 ( The Seventy – second Amendment , 1992 )

इस संशोधन द्वारा त्रिपुरा विधानसभा की संख्या बढ़ाकर 60 कर दी गई है और उसी अनुपात में अनुसूचित जनजाति की संख्या भी बढ़ा दी गई ।

 73 वाँ संशोधन , 1993 ( The Seventy – third Amendment , 1993 ) –

इस संशोधन द्वारा संविधान में एक नया भाग ( नौंवा भाग ) जोड़ा गया है । इस भाग में 16 अनुच्छेद और 11 वीं नई सूची जोड़ी गई है । इसमें पंचायतों के अधिकारों का वर्णन है ।

74 वाँ संशोधन , 1993 ( The Seventy – fourth Amendment , 1993 )

इस संशोधन द्वारा संविधान में एक नया भाग जोड़ा गया है – भाग 9 – क और 18 नए अनुच्छेद और एक नई अनुसूची ( 11 वीं नई अनुसूची ) जोड़ी गई है । इस 11 वीं अनुसूची में 28 विषय हैं । इन विषयों का सम्बन्ध नगरपालिकाओं से है ।

 75 वाँ संशोधन , 1994 ( The Seventy – fifth Amendment , 1994 )

इस संशोधन द्वारा मकान मालिकों व किराएदारों के झगड़ों को सुलझाने के लिए राज्यों में ट्रिब्यूनलों की स्थापना की जा सकेगी ।

 76 वाँ संशोधन , 1994 ( The Seventy – sixth Amendment , 1994 )

इस संशोधन द्वारा तमिलनाडु विधानसभा द्वारा पिछड़े वर्गों के लिए सरकारी सेवाओं तथा शिक्षण संस्थाओं में किए गए 69 प्रतिशत आरक्षण के प्रावधानों को संविधान की 9 वीं अनुसूची में स्थान प्रदान किया गया है ।

 77 वाँ संशोधन , 1995 ( The Seventy – seventh Amendment , 1995 )

77 वें संशोधन के द्वारा अनुच्छेद 16 ( 4A ) में परिवर्तन करके अनुसूचित जातियों , जनजातियों के लिए पदोन्नति की व्यवस्था की गई है

 78 वाँ संशोधन , 1995 ( The Seventy – eighth Amendment , 1995 )

इस संशोधन द्वारा 9 वीं अनुसूची में दिए गए मामलों को कानून की चुनौती से बचाने की व्यवस्था की गई है ।

79 वाँ संशोधन , 2000 ( The Seventy – ninth Amendment , 2000 )

इस संविधान संशोधन के अनुसार अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियाँ की व्यवस्था को और 10 वर्ष के लिए अर्थात् 25 जनवरी , 2010 तक बढ़ा दिया गया था ।

 80 वाँ संशोधन , 2000 ( The Eightieth Amendment , 2000 )

इस संशोधन के अनुसार विक्रय या क्रय पर केन्द्रीय सरकार द्वारा जो कर लगाए जाएंगे एवं इकट्ठे किए जाएंगे वे राज्यों को सौंप दिए जाएंगे ।

 81 वाँ संशोधन , 2000 ( The Eighty – first Amendment , 2000 )

इस संशोधन द्वारा संविधान के अनुच्छेद 16 में एक तथा खण्ड ( 4 ख ) जोड़ा गया । इसके द्वारा अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों तथा पिछड़े वर्गों के लिए सरकारी नौकरियों में 50 प्रतिशत तक आरक्षण की सीमा को समाप्त कर दिया गया है ।

 82 वाँ संशोधन , 2000 ( The Eighty – Second Amendment , 2000 )

इस संशोधन द्वारा अनुच्छेद 395 में यह व्यवस्था की गई कि यह अनुच्छेद केन्द्र अथवा राज्य की सेवाओं में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिए परीक्षा में अर्हता अंकों में छूट देने अथवा पदोन्नति के लिए मूल्यांकन के मापदण्ड में रियायत देने के लिए उपलब्ध करने में व्यवधान नहीं बनेगी

 88 वाँ संशोधन , 2000 ( The Eighty Third Amendment , 2000 )

सन् 2000 में 83 वें संशोधन के द्वारा विशेष रूप से अरुणाचल प्रदेश में पंचायतों में अनुसूचित जाति के पक्ष में सीट आरक्षण की छूट दी गई क्योंकि वहाँ की पूर्ण जनसंख्या जनजातीय है

84 वाँ संशोधन , 2000 ( The Eighty – fourth Amendment , 2000 )

84 वाँ संशोधन ( सन् 2000 ) के द्वारा विशेष रूप से तीन राज्यों – छत्तीसगढ़ , उत्तराखण्ड एवं झारखण्ड का गठन किया गया ।

85 वाँ संशोधन , 2002 ( The Eighty – fifth Amendment , 2002 )

85 वें संवैधानिक संशोधन ( सन् 2002 ) के द्वारा अनुच्छेद 16 ( 4 A ) में परिवर्तन करते हुए सरकारी सेवाओं में अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के अभ्यर्थियों के लिए पदोन्नतियों में आरक्षण की व्यवस्था का प्रावधान किया गया ।

86 वाँ संशोधन , 2002 ( The Eighty Sixth Amendment , 2002 )

इस संशोधन के द्वारा शिक्षा को मौलिक अधिकार घोषित किया गया है । इस संशोधन के द्वारा संविधान के अनुच्छेद 21 के तुरन्त बाद खण्ड 21 क जोड़ा गया । इसमें व्यवस्था की गई कि 6 से 14 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों के लिए विधि द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार राज्य निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा प्रदान करेगा । इसी संशोधन में अनुच्छेद 51 क में खण्ड ( 1 ) जोड़कर यह भी व्यवस्था की गई कि अभिभावको का यह कर्त्तव्य है कि वे 6 से 14 वर्ष के अपने बच्चों को शिक्षा का अवसर प्रदान करें ।

 87 वाँ संशोधन , 2003 ( The Eighty – seventh Amendment , 2003 )

इस संशोधन के द्वारा संविधान के अनुच्छेद 82 में संशोधन करते हुए यह व्यवस्था की गई है कि निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन सन् 2001 की जनगणना के आधार पर किया जाएगा ।

88 वाँ संशोधन , 2003 ( The Eighty – eighth Amendment , 2003 )

88 वें संवैधानिक संशोधन के द्वारा संविधान विनियोजन से है । के अनुच्छेद 268 , 270 एवं संविधान की 7 वीं अनुसूची में संशोधन किया गया है जिसका सम्बन्ध मुख्यतः सेवा करों के संग्रहण एवं विनियोजन से है.

 89 वाँ संशोधन , 2003 ( The Eighty – ninth Amendment , 2003 )

इस संशोधन अधिनियम द्वारा अनुसूचित जनजातियों के लिए अलग से राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के गठन करने का प्रावधान किया गया है।

90 वाँ संशोधन , 2003 ( The Ninetieth Amendment , 2003 )

इस संशोधन के अनुसार असम विधानसभा में अनुसूचित जनजातियों और गैर – अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधित्व बरकरार रखते हुए बोडो लैण्ड टेरिटोरियल कौन्सिल क्षेत्र से गैर जनजाति के लोगों के अधिकारों को सुरक्षा प्रदान की गई ।

91 वाँ संशोधन , 2003 ( The Ninety – first Amendment , 2003 )

इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य दल – बदल पर रोक लगाने के साथ – साथ केन्द्र एवं राज्यों में मन्त्रिपरिषद् के आकार को सीमित करना है । इस अधिनियम के अनुसार केन्द्र एवं राज्यों में मन्त्रिपरिषद् का अधिकतम आकार निचले सदन की कुल संख्या का 15 प्रतिशत तक ही हो सकेगा लेकिन छोटे राज्यों में यह संख्या 12 तक जा सकती है । 91 वें संशोधन द्वारा यह प्रावधान भी किया गया है कि दल – बदल करने वाला कोई सांसद या विधायक सदन की सदस्यता खोने के साथ – साथ अगली बार चुनाव जीतने तक अथवा सदन के शेष कार्यकाल तक ( जो भी पहले हो ) , मन्त्री पद पर लाभ का कोई पद प्राप्त नहीं करेगा ।

92 वाँ संशोधन , 2003 ( The Ninety – second Amendment , 2003 )

इस संवैधानिक संशोधन के द्वारा संविधान की आठवीं अनुसूची में संशोधन किया गया तथा बोडो , डोगरी , मैथिली एवं संथाली भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कर लिया गया है । इस प्रकार अब संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भाषाएं हो गई हैं ।

93 वाँ संशोधन , 2003 ( The Ninety – third Amendment , 2003 )

2 जनवरी , 2004 को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने पर आतंकवाद निरोधी अधिनियम ( POTA ) की समीक्षा के लिए केन्द्र व राज्य सरकारों द्वारा गठित समीक्षा समिति को अधिक अधिकार प्रदान किए गए । संशोधित अधिनियम के तहत अब किसी मामले में पोटा के आरोपण के औचित्य की जाँच समीक्षा समिति कर सकेगी तथा समिति को जाँच में यदि यह पाया जाता है कि सम्बन्धित व्यक्ति के विरुद्ध पोटा का मामला नहीं बनता तो राज्य सरकार एवं सम्बन्धित पुलिस पोटा वापस लेने को बाध्य होगी । इस संशोधन से अब राज्य सरकारों द्वारा ‘ पोटा ‘ के दुरुपयोग को रोका जा सकेगा ।

94 वाँ संशोधन , ( The Ninety – fourth Amendment ,2006)

संशोधन के द्वारा संविधान की धारा 164 ( 1 ) में परिवर्तन किया गया है । इसके अनुसार बिहार को इस धारा के क्षेत्र से निकाल लिया गया है तथा छत्तीसगढ़ और झारखंड को इस धारा के अंतर्गत लाया गया है ।

 95 वाँ संशोधन , ( The Ninety – fifth Amendment,2009 )

इस संशोधन के द्वारा अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण को 10 वर्ष के लिए और बढ़ा दिया गया है अर्थात् आरक्षण की अवधि 2020 तक बढ़ा दी गई है ।

 96 वाँ संशोधन , ( The Ninety – sixth Amendment,2011 )

इस संशोधन द्वारा भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में अंकित भाषा ‘ ओरिया ‘ ( Oriya ) के स्थान पर ओडिया ( Odia ) नाम परिवर्तित किया गया ।

 97 वाँ संशोधन , ( The Ninety – seventh Amendment,2011 )

इस संशोधन द्वारा संविधान के भाग III में अनुच्छेद 19 ( I ) C में शब्द समूह ( Union ) के बाद कोप्रेटिव सोसाइटीज़ ( Co – operative Societies ) जोड़ा गया । इस संशोधन के द्वारा संविधान के भाग IV में अनुच्छेद 43 A के 43 B के द्वारा राज्यों द्वारा कोप्रेटिव सोसाइटीज़ ( Co – operative Societies ) को प्रोत्साहन सम्बन्धी प्रयास करने की व्यवस्था की गई है ।

 98 वाँ संशोधन , ( The Ninety – eighth Amendment,2012 )

इस संशोधन के अनुच्छेद 371 ( J ) में हैदराबाद – कर्नाटक क्षेत्रों को विकसित करने हेतु कर्नाटक के राज्यपाल को सशक्त बनाने की व्यवस्था की गई है

 

आशा करते है की हमारी द्वारा सविधान संशोधन की जानकारी आपको पसंद आई होगी अगर आप इस से पीछे के संसोधन को पार्ट 1 में बताया गया है तो दिए लिंक पर क्लिक करके आप पढ़ सकते है

संविधान संशोधन 1951 से 2021 तक पार्ट-1

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