अजीत डोभाल (Ajit Doval Biography in Hindi) जिन्हे भारत का जाइम्सबॉन्ड ,21वी शताब्दी का चाणक्य के नाम से भी जाना जाता है। आज हम Ajit Doval Biography Hindi में उनके जीवन के बारे में पुरे विस्तार से पढ़ने वाले है। की कैसे उन्होंने एक आईपीएस से इंटेलिजेंस ब्यूरो तक कैसे पड़े पड़े सफल operation को बिना किसी नुकसान से पुरे किया।
Ajit Doval Biography in Hindi में जाने
जन्म -Ajit Dova का जन्म 20 Jan 1945 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल (pauri garhwal ) में आर्मी फॅमिली के घर जन्म हुआ।
उनके पिता का नाम – मेजर GL DOVAL
शुरुआती पढ़ाई -आर्मी स्कूल में की
Collage की पढ़ाई उन्होंने अजमेर के मिलिट्री (military ) स्कूल से की।
Master degree (MA )-22 की उम्र में उन्होंने UNIVERSITY OF AGRA से इकोनॉमिक्स में मास्टर डिग्री की थी।
1968 में उन्होंने UPSC का पेपर दिया जिस में पहले ही बार में UPSC की clear किया और IPS के तौर पर केरल में उनकी पहली पोस्टिंग हुई।
पहला मिशन first mission by ajit doval
संयोग से 3 पहली की पोस्टिंग के 3 साल बाद ही केरल में हिन्दू और मुस्लिमो के बीच हुए तनाव को रोकने के लिए उस समय के home minister K .करूणा करन के द्वारा अजीत डोभाल को भेजा। जिस में उन्होंने उस दंगा को शान्त किया। इस पहले ही मिशन के बाद अजित डोभाल का नाम अब भारत में जाना जाने लगा।
Intelligence Bureau में Undercover life
केरला के मिशन के बाद उनको अपनी 7 साल की पुलिस services के बाद IB में उनको Undercover मिशन के रूप में जोइनिंग किया जाता है। IB में उनका पहला मिशन मिजोरम में mizo national front (mnf )के नेता लालडेंगा के द्वारा अपनी सर्कार चला रहे है। mizo national front के द्वारा वो मिजोरम को भारत से अलग एक अलग नेशन चाहते है।इस मिशन को सफल बानने के लिए IB के द्वारा अजित डोभाल को भेजा जाता है। जिसमे अजित डोभाल के द्वारा यह मिशन कामयाब रहा।
ऐसी मिशन के सफल होने के बाद अजित डोभाल की PRESIDENT POLICE MEDAL भी दिया जाता है। जिसे पाने वाले सबसे काम उम्र के पुलिस अधिकारी थे।
उस समय सिसिक्किम भारत का हिस्सा नहीं था। उस समय सिक्किम के राजा Palden Thondup Namgyal जो भारत में मिलना नहीं चाहता था। इस मिशन के लिए अजित डोभाल को चुना जाता है। जिनके द्वारा ही सिक्किम को भारत में मिलाया जाता है।
पंजाब के अंदर में अपने आप को अलग से देश बनाने की मांग जोरो से चल रही थी। और बहुत दंगे होने लगे। ऐसी दंगो को रोकने के लिए सरकार के द्वारा operation Bluestar चलाया गया। लेकिन इस भी यह दंगे काम नहीं हुए। 1988 में अजित डोभाल के नेतृत्व में operation black thunder शुरू किया गया।
1988 में उनकी वीरता के देखते हुए भारत सरकार के द्वारा उनको कीर्ति चक्र भी प्रधान किया किया गया। किसे पाने वाले पहले पुलिस अधिकारी है।
अजीत जी ने आतंक निरोधी कार्यो के लिए भारत के तीसरे National Security Advisor एम के नारायणन के द्वारा ट्रेनिंग भी प्राप्त की हुई है.
पाकिस्तान में भी अजित डोभाल एक भिखारी के रूप में वहा की नुक्लेअर पॉवर की जानकारी को लेने गए थे। जिस में उन्होंने वहां की शारी जानकारी भारत सर्कार को सौंप दी।यह भी उनका एक सफल मिशन रहा है।
साल 1999 में कंधार में ISI के द्वारा IC 814 plane hijacked हुआ जिसमे ISI की मांग थी की उनके 100 आंतक वादी और २बिल्लियन डॉलर भी दिए जाये। यात्रियों के अपहरण के मुद्दे पर अजीत जी उन 3 अधिकारियों में से एक थे. जिन्होंने रिहाई के मुद्दे पर देश की ओर से बात की थी.और उनके केवल 3 ही आंतकवादिओ को रिहा किआ गया था। इसके अलावा अजीत जी को 1971 से 1999 तक हुये सभी 15 हाईजेकिंग में शामिल होने का अनुभव प्राप्त है.
RETIREMENT के BAD
7 साल पुलिस सर्विस में तथा 30 साल आईबी के चीफ के पद पर काम करने के बाद जनवरी 2005 में उन्होंने रिटायरमेंट ले ली. लेकिन रिटायरमेंट के बाद भी जब 2014 में भारत में भाजपा की सरकार बने भाजपा सरकार के द्वारा उनको नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (NSA ) के रूप में दोबारा देश की सेवा करने का मौका दिया गया। नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (NSA ) के साथी उनको कैबिनेट रैंक के मिनिस्टर का भी दर्जा दिया गया है.
दिसंबर 2009 में उन्होंने विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन की स्थापना की इस फाउंडेशन की स्थापना करने के साथ ही पूरी दुनिया में अजीत डोभाल की एक अलग पहचान बन गई 30 मई 2014 को देश के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर रूम में नियुक्त किया गया। 2014 में पद सभालते ही उनके सामने सबसे पहला मुद्दा था. इराक में इंडिया की 45 NERSO को बंदी बनाया गया था. जो इन्होंने अपने पद पर रहते हुए इराक में 45 नर्सों को वहां से सही सलामत भारत लेकर आए थे। जो भारत में उड़ी हमला तथा पुलवामा अटैक हुआ था तो इसके जवाब में अजीत डोभाल नहीं सर्जिकल स्ट्राइक करने का प्रस्ताव भारत के प्रधानमंत्री के सामने रखा था। भारत ही नहीं बल्कि पूरा विश्व उनकी इस पराक्रम को सलाम करता है।
अजीत डोभाल का बेटा क्या करता है?
Ajit Doval Biography Hindi के बेटे की बात करे तो इसके बेटे का विवेक डोभाल है। जो की दिग्विजय सिंह ने बताया की उनके बेटे की नागरिकता ब्रिटिश है। और वो सिंगापूर में रहते है। साथ केमैन आइलैंड्स में इक अपने पार्टनर पाकिस्तानी के साथ मिल क्र कंपनी चला रहे है।
अजीत डोभाल क्यों प्रसिद्ध है?
1968 बैच के आईपीएस जिन्होंने 7 साल पुलिस और 30 IB में काम किया है। अपनी सूज भुज से अपने देश का नाम रोशन किया और बहुत से मिशन को बिना किसी नुक्सान के सफल भी किया।
अजीत डोभाल कितने साल पाकिस्तान में रहे?
अजीत डोभाल (Ajit Doval Biography Hindi )को भारत का james bond भी कहा जाता है। 1968 बैच के केरल कैडर के आईपीएस अधिकारी भी रहे है। अजीत डोभाल 1972 में खुफिया एजेंसी IB से जुड़ गए। उन्होंने पाकिस्तान में 7 साल तक अंडर कवर एजेंट के रूप में भी काम किया। और बहुत सारे मिशन को सफल किया है।
अजित डोभाल सैलरी कितनी है ?
Ajit Doval Biography Hindi में अगर उनकी सैलरी की बात करे तो अलग अलग रिपोर्ट के अनुसार उनकी सैलरी एक लाख सत्तर हजार (170000 ) बताए जाती है। लेकिन सैलरी से ज्यादा उनके देश में रहना जरुरी है।
विवेक डोभाल की नागरिकता क्या है?
20 Jan 1945 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल (pauri garhwal ) में आर्मी फॅमिली के घर जन्म हुआ। इसी अनुसार उनकी नागरिकता भारत की हुई।
डोभाल वर्तमान में क्या है?
देश के 5th नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (NSA ) के साथी उनको कैबिनेट रैंक के मिनिस्टर का भी दर्जा दिया गया है.
अजीत डोभाल को कीर्ति चक्र कब मिला?
अजीत डोभाल पहले ऐसे पुलिस अधिकारी है। जिनको कीर्ति चक्र पुरस्कार दिया गया है। यह पुरस्कार उनको सन 1988 में दिया गया था।
निष्कर्ष
अगर हमारे द्वारा दी गई जानकारी से आपको किसी भी प्रकार से अच्छी जानकारी मिली हो तो हमें सोशल मीडिया यह कमेंट बॉक्स में कमेंट करके बता सकते हैं कि आगे हम किस पर ग्राफी के ऊपर आपको लिखकर देता कि आप भी इसी तरह की Ajit Doval Biography in Hindi को अच्छी तरह से जान सके.
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